श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, अलसूर के तत्वावधान में जैन भवन में आयोजित प्रवचन में साध्वी इंदुप्रभा ने कहा कि प्रत्येक जीव अनंत जीवों की तरह अनंत बार और अनंत काल से इस लोक का भ्रमण चारों गतियों में कर रहा है। हम खूब पुण्य को ले कर मनुष्य भव में आए हैं, किंतु यहां आकर लगातार पुण्य को खर्च कर स्वयं को नगण्य कर रहे हैं। नए पुण्य को कमाने का यदि पुरुषार्थ नहीं रहा तो आगे खूब पछतावा रहेगा। ऐसे में बेहतर कर्म कर पुण्य को कमाने का प्रयास करें।
साध्वी वृद्धिप्रभा ने कहा कि ममत्व और आसक्ति बंधन है। छूट जाए और स्वेच्छा से छोड़ने में बहुत अंतर है। आसक्ति नहीं होगी तो छोड़ने में आसानी होगी। प्रभु महावीर ने शुरू से किसी से कोई आसक्ति नहीं रखी तो जब उन्होंने छोड़ा तो वह अपने आप छूट गया था। उपवास करें और भोजन स्मृति में रहें तो यह श्रेष्ठ और अनुकरणीय साधना नहीं है। यह आत्मा हीरे के समान है। इसकी सुरक्षा करनी है। इस आत्मा में दुर्गुणों का कचरा नहीं भरना है। छूटने के पहले छोड़ देना त्याग है। संघ मंत्री अभय कुमार बांठिया ने संचालन करते हुए बताया कि रविवार को ज्ञान पांचम का महत्व बताया जाएगा। सह मंत्री धनपतराज तातेड़ ने स्वागत किया। साध्वी शशिप्रभा ने मंगल पाठ प्रदान किया।


