अमेरिका से डिपोर्ट हरियाणा के लोगों की कहानी:परिवारों ने जमीनें बेची, कर्ज लिया; एक के परिजनों को पता नहीं बेटा कैसे विदेश पहुंचा

अमेरिका से डिपोर्ट हरियाणा के लोगों की कहानी:परिवारों ने जमीनें बेची, कर्ज लिया; एक के परिजनों को पता नहीं बेटा कैसे विदेश पहुंचा

हरियाणा के 33 लोगों की अमेरिका से वतन वापसी हुई। आरोप है कि ये सभी अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे। बुधवार (5 फरवरी) को अमेरिका एयरफोर्स का विमान इन्हें लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इनमें सबसे ज्यादा 11 लोग कैथल जिले से हैं। वहीं 7 लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 20 साल से कम है। इसके साथ 3 महिलाएं भी शामिल हैं। इन सब की विदेश जाने की कहानियां दिलचस्प हैं। कई ऐसे परिवार हैं जिन्होंने जमीन बेचकर या कर्ज लेकर बेटे को विदेश भेजा, तो कई ऐसे भी हैं जिन्हें पता ही नहीं था कि उनका बेटा अमेरिका में है। नीचे विस्तार से इनकी कहानियां पढ़ें… डिपोर्ट हुए लोगों में 11 कैथल जिले के हैं। इनमें गांव अटेला का अमन भी शामिल है। उसके परिजनों ने बताया कि अमन करीब 5 महीने पहले ही अमेरिका गया था, लेकिन वहां जाते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अमन के पिता कृष्ण बताते हैं कि उन्होंने बेटे को विदेश भेजने के लिए एजेंट से करीब 35 लाख रुपए में डील की थी। कुछ पैसे दे भी दिए थे थे और कुछ ठीक ठाक पहुंचाने के बाद देने की सहमति बनी थी। कृष्ण बताते हैं कि उन्होंने यह रकम रिश्तेदारों, जानकारों व भाईचारे से इकट्ठे करके दी थी। उन्हें उम्मीद थी की बेटा अमेरिका पहुंचेगा तो वहां अच्छी कमाई करेगा। जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, लेकिन अब उनके सारे अरमान धरे रह गए। करनाल के घरौंडा के गांव कालरों से आकाश इसी साल 26 जनवरी को अमेरिका पहुंचा था। गांव के सरपंच दीपेंद्र उर्फ अन्नू ने बताया कि आकाश हमारे परिवार से ही है और परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए वह अपनी जमीन बेचकर व कर्ज उठाकर 30 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया था। वह 3 महीने पहले घर से निकल गया था और 26 जनवरी को अमेरिका पहुंचा था। इसके पिता वीरेंद्र की कई साल पहले मौत हो चुकी है। UK पढ़ने भेजा, पैसों की कमी हुई तो USA गया
फतेहाबाद जिले के गांव दिगोह में जैसे ही सुखविंद्र सिंह को पता चला की उनका बेटा भी डिपोर्ट होकर भारत लौट रहा है तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। सरपंच हरसिमरन सिंह ने बताया कि सुखविंद्र सिंह उर्फ काला ने 24 वर्षीय बेटे गगनप्रीत सिंह को विदेश में पढ़ाई करवा कर वहीं जॉब करवाने के सपने संजोए थे। उन्होंने अपनी साढ़े 3 एकड़ जमीन में से ढाई एकड़ जमीन बेचकर इंग्लैंड का वीजा लगवा कर सितंबर 2022 में भेजा था, लेकिन वहां पर पार्ट टाइम जॉब नहीं मिलने के कारण यूनिवर्सिटी में बीए थर्ड ईयर की फीस नहीं दे सका। आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। इसलिए गगनप्रीत ने इंग्लैंड में वीजा एजेंट के झांसे में आकर डंकी के रास्ते से अमेरिका में जाने का मन बनाया। इसी साल जनवरी महीने में जॉब करने के लिए अमेरिका पहुंच गया। जहां पर अवैध तरीके से एंट्री करने के चलते गगनप्रीत सिंह को 20 दिन पहले ही हिरासत में ले लिया था। इस कारण परिजनों से करीब 20 दिनों से फोन पर संपर्क नही हो पा रहा था। जींद के चुहड़पुर गांव का 21 वर्षीय अजय 12वीं पास कर डंकी के रास्ते अमेरिका गया था। परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों से जुगाड़ कर 40 लाख रुपए में अजय को अमेरिका भेजा, लेकिन कैंप तक पहुंचने से पहले ही अजय को डिपोर्ट कर दिया गया। दो माह तक अजय बीच रास्ते में रहा। एक माह पहले ही मैक्सिको की दीवार को क्रॉस कर वह अमेरिका की तरफ कूदा था। इसके बाद से वह अमेरिकी पुलिस की कस्टडी में रहा। अमेरिका से डिपोर्ट हुए लोगों में हिसार जिले के गांव खरड़ अलीपुर का रहने वाला 20 वर्षीय अक्षय भी शामिल है। उसके दादा निहाल सैनी ने कहा कि उनका पोता तो कभी अमेरिका में गया ही नहीं। अक्षय ने 2 महीने पहले फोन पर भी कहा था कि वो अमेरिका नहीं जाएगा। अमेरिका जाने की बात का नहीं पता और ना ही अक्षय ने हमसे कभी कहा कि अमेरिका जाने के लिए पैसे भिजवा दो। आखिरी बार अक्षय से करीब एक महीना पहले बात हुई थी। वह घर पर भी कम फोन करता था।
अक्षय के पिता सुभाष सैनी ने बताया कि अक्षय को पढ़ाई के लिए मौसी के पास कैथल भेजा था। इसके बाद अक्षय आईलेट्स करने लगा। चंडीगढ़ आने-जाने लगा। वहां कोचिंग में उसको पौने सात बैंड भी आए थे। मगर डंकी रूट से अमेरिका जाने की बात हमारे समझ नहीं आ रही है। जब अक्षय घर आ जाएगा तो उससे बात करेंगे। कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद के रहने वाले मनजीत सिंह ने बताया कि एजेंटों के चक्कर में फंसकर बेटे रोबिन को 18 जुलाई को घर से विदा किया था। एजेंटों ने उन्हें डॉलर की खनक और चमक के सपने दिखाकर बातों में फंसाया था। एजेंट रोबिन को गयाना, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला के टापुओं और जंगलों में घुमाते रहे। मारपीट कर पहले उसका फोन छीना और बाद में उससे डॉलर भी छीन लिए गए। एजेंट उसे भूखा प्यासा रखते थे और बार बार जंगल में छोड़ देने की धमकी देते रहते थे। 45 लाख रुपए देकर बेटे को अमेरिका तो पहुंचा दिया, मगर अमेरिका में दाखिल होने लगे तो उनको डिपोर्ट कर दिया। कुरुक्षेत्र के गांव चम्मुकलां के जसवंत सिंह ने बताया कि उसने अपने बेटे खुशप्रीत सिंह को करीब 5 महीने पहले एजेंटों के जरिए 40 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका भेजा था। इस दौरान उनकी अपने बेटे से कोई बातचीत नहीं हुई। बेटे को अमेरिका भेजने के चक्कर उन पर लाखों रुपए का कर्ज चढ़ गया, मगर तसल्ली इस बात की है कि उनका बेटा सही-सलामत वापस आ रहा है। अब यहां कोई और काम कर लेगा।

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