निजी सोलर कम्पनी को आवंटित जमीन में से मुंहबोली ओरण के 12 खसरों में 812 बीघा जमीन हटाए जाने और बईया में चल रहे धरने को समाप्त करवाने के बाद जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने कहा कि जिस जमीन को लेकर ग्रामीण संघर्ष कर रहे थे वहां पीढिय़ों पुराने और विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पेड़ मौजूद हैं। ऐसे में उनकी मांग जायज थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने त्वरित सुनवाई करते हुए ग्रामीणों की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लिया। विधायक ने सोमवार को अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि ग्रामीणों के धरने पर वे 16 नवम्बर को गए थे और पाया कि ग्रामीणों की मांग जायज है। इसके बाद वे 23 नवम्बर को जयपुर में मुख्यमंत्री से मिले। मुख्यमंत्री ने विषयवस्तु की गंभीरता को समझा और कहा कि ग्रामीणों के आशीर्वाद से हम और आप सरकार में हैं। मुख्यमंत्री ने जैसलमेर कलक्टर को आवंटित जमीन की जांच-पड़ताल करवाने का आदेश दिया। जिसके बाद कलक्टर ने प्रशासनिक अमले को भेज कर जमीन का अध्ययन करवाया और अब कम्पनी को आवंटित 812 बीघा जमीन छोड़ कर संशोधन आदेश जारी किया गया है। विधायक ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण बहुत खुश हैं। भाटी ने कहा कि यह पहली बार है कि सरकार ने आवंटित जमीन में संशोधन किया।
बिजली उत्पादन के खिलाफ नहीं
उन्होंने कहा कि हम बिजली उत्पादन के खिलाफ नहीं हैं। हमें भी मालूम है कि वर्तमान व भावी समय की जरूरतों कीे पूर्ति के लिए विद्युत उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है और इसके लिए जमीन जैसलमेर जिले में ही मौजूद है लेकिन कम्पनियों को जमीन आवंटित करते समय कुछ तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। कम्पनियों को आबादी भूमि से दूर जमीन आवंटित करनी चाहिए और ऐसी जमीन का आवंटन किया जाए जहां किसी तरह की वनस्पति नहीं हो। उन्होंने जिले में ओरण व गोचर जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांगों के समर्थन में कहा कि वे सरकार से अनुरोध करेंगे कि कम्पनियों को जमीन आवंटन से पहले विधायक, गांव के सरपंच आदि को जानकारी दे ताकि वस्तुस्थिति का पता चल सके। शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी के इस मामले में आंदोलन में शामिल होने के बारे में छोटूसिंह ने कहा कि यह इलाका हालांकि उनके क्षेत्र में है लेकिन रविंद्रसिंह भी विधायक हैं और इस नाते किसी भी क्षेत्र की समस्या को सुन सकते हैं।
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