Gaza conflict : इज़राइल ( Israel ) को मासूम बच्चों पर भी रहम नहीं आ रहा है और वह उन पर भी हमले कर रहा है। इज़राइल के हमलों से ग़ाज़ा (Gaza) में रोज़ाना 100 से ज्यादा बच्चे मारे जा रहे और घायल हो रहे हैं। यूनीसेफ की रिपोर्ट में यह ख़ुलासा हुआ है। यूनीसेफ (UNICEF) और UNRWA ने इस स्थिति को मानवता पर कलंक करार देते हुए युद्ध विराम (Ceasefire) करने की अपील की है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख फिलिप लाज़ारीनी ने इस स्थिति को भयानक बताया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की हत्या किसी भी हालत में सही नहीं हो सकती, और तुरंत युद्ध विराम होना चाहिए, ताकि बच्चों को सुरक्षा मिल सके।
युद्ध के कारण युवा पीढ़ी की संख्या लगातार घटती जा रही
फिलिप लाज़ारीनी का कहना है कि यूनीसेफ के आंकड़ों के अनुसार, फिर से हमले शुरू होने के बाद से रोज़ लगभग 100 बच्चे मारे गए या घायल हो रहे हैं। युद्ध के कारण युवा पीढ़ी की संख्या लगातार घटती जा रही है। उन्होंने अफसोस जताया और कहा कि डेढ़ साल पहले शुरू हुए इस युद्ध में अब तक करीब 15 हज़ार बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं।
ग़ाज़ा के बच्चों को अपने बचपन की कुछ प्यारी यादें संजोने का अवसर
लाज़ारीनी ने कहा कि इस साल के शुरू में अस्थायी युद्ध विराम ने ग़ाज़ा के बच्चों को अपने बचपन की कुछ प्यारी यादें संजोने और जीवन की एक किरण बचाने का अवसर दिया था, लेकिन युद्ध विराम उल्लंघन ने एक बार फिर उनसे वह अवसर छीन लिया।
इज़राइल ग़ाज़ा में क्या कर रहा है ?
ध्यान रहे कि इज़राइल ग़ाज़ा में लगातार सैन्य हमले कर रहा है, जिससे फिलिस्तीनी नागरिकों विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और परिवारों की जान सांसत में है। इन हमलों में आम नागरिकों की मौतें और घायल होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इज़राइल का कहना है कि वह ग़ाज़ा में हामस के ठिकानों को निशाना बना रहा है, जबकि मानवाधिकार संगठन और यूनीसेफ ने इस युद्ध को अत्यधिक हिंसक और गैर-जरूरी बताया है, जिससे बड़े पैमाने पर नागरिकों की जान जा रही है।
युद्ध विराम कब हुआ था ? कब टूटा ?
ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा में सन 2024 के शुरू में अस्थायी युद्ध विराम हुआ था, लेकिन इज़राइल के उल्लंघन के बाद 18 मार्च, 2024 को यह युद्ध विराम टूट गया। यह सीज़फ़ायर कुछ समय के लिए संघर्ष में राहत देने के लिए किया गया था, ताकि नागरिकों को राहत मिल सके और ग़ाज़ा के बच्चों को अपने बचपन के कुछ पल जीने का मौका मिल सके, लेकिन युद्ध विराम टूटने के बाद से हिंसा फिर से बढ़ गई है और बच्चों सहित आम नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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