नई दिल्ली। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर 182 मीटर की उनकी प्रतिमा आज गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में राष्ट्र को समर्पित की गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने मिट्टी और नर्मदा नदी के पानी को कलश में भरकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर प्रतिमा के वर्चुअल अभिषेक की शुरूआत की।
प्रधानमंत्री ने वॉल ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा के नीचे प्रधानमंत्री ने विशेष पूजा की। प्रधानमंत्री ने संग्रहालय तथा प्रदर्शनी और दर्शक दीर्घा को भी देखा। यह दीर्घा 153 मीटर ऊंची है और एक साथ इसे 200 आगुंतक देख सकते है। यहां से सरदार सरोवर बांध, इसके जलाशय तथा सतपुड़ा और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। समारोह में भारतीय वायु सेना के विमान और सांस्कृतिक दस्तों ने करतब दिखाए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। आज का दिन भारत के इतिहास में विशेष महत्व का दिन है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के साथ भारत ने आज भविष्य के लिए स्वयं को विशाल प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को सरदार पटेल के साहस, क्षमता और संकल्प की याद दिलाती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल द्वारा भारत के एकीकरण के कारण आज भारत एक बड़ी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति बनने जा रहा है। उन्होंने इस प्रतिमा के निर्माण से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी। कहा कि प्रतिमा पर्यटन का अपार अवसर प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने देश की एकता और अखंडता बनाए रखने तथा सभी विभाजनकारी ताकतों का मुकाबला करने के सामूहिक दायित्व की भी चर्चा की।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : एक नजर
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 182 मीटर (522 फीट) है। ऊंचाई में यह अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का दुगना है। जबकि रियो डी जेनेरियो के क्राइस्ट द रिडीमर टावर से चार गुना ऊंचा है। इसको बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मूर्ति के निर्माण कार्य की शुरूआत अप्रैल 2015 में हुई थी। इसमें 70 हजार टन सीमेंट और लगभग 24000 टन स्टील, तथा 1700 टन तांबा और इतना ही कांसा लगा है। प्रतिमा अपने आप में अनूठी है। इसके पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की ऊंचाई 70 फीट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। इस मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ। देश-विदेश में अपनी शिल्प कला के लिए मशहूर राम वी. सुतार को साल 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित हुए थे। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। ऊंचाई में यह अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का दुगना है। जबकि रियो डी जेनेरियो के क्राइस्ट द रिडीमर टावर से चार गुना ऊंचा है। इसको बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
