कला, संस्कृति विभाग और आरियन ग्रीन्स क्लब की ओर से 8 फरवरी को तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षणिक नाट्य एवं संगीत समारोह समारोह शुरू हुआ। समारोह के पहले दिन रवींद्र मंच के स्टूडियो थिएटर में बंगाल के लेखक मनोज मित्र लिखित नाटक बगिया बांछाराम की मंचित किया गया। वरिष्ठ रंगकर्मी राम सहाय पारीक के निर्देशन में नाटक खेला गया पूंजीपतियों की करतूतों पर कटाक्ष करता ये नाटक एक बुजुर्ग किसान बांछाराम की कहानी है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत से अपने छोटे से बाग को हरा-भरा किया है। लेकिन गांव के जमींदार नौकौड़ी की इस पर नजर है। यहां तक कि नौकौड़ी का पिता भी इस बाग की ख्वाहिश में मर गया और भूत बनकर नाटक में एक किरदार के तौर पर नजर आता है। जमींदार जो अब भूत है और कभी बांछाराम की बगिया हथियाने की कोशिश में लगा था। भूत अपना बगिया प्रेम दर्शकों को हंसते-हंसाते ही जता जाता है।
जमींदार का बेटा बांछाराम को लालच देकर बगिया का सौदा करता है। दो हजार रुपये महीना बांछाराम बगिया के लिए तैयार हो जाता है। नौकोडी को उम्मीद है कि बांछाराम एक दिन मर जाएगा और बगिया उसकी हो जाएगी, लेकिन कमजोरी से जूझते बांछाराम का नाती उसके जीवन में एक किरण बनकर आता है। नौकोडी बीमार पड़ जाता है और बगिया हासिल करने की उम्मीद में एक दिन उसकी मौत हो जाती है। बांछाराम का नाती बगिया की देखभाल करता है और उसके साथ बांछाराम का स्वास्थ्य भी पटरी पर लौट आता है।
नाटक में सुरेन्द्र माथुर, राजीव अंकित, सुरेश मोहन, राम सहाय पारीक, धनेश वर्मा, यूथिका नागर, नमन पारीक, देव सागर, नंदिनी पंजवानी और कुशलेश शर्मा ने अभिनय किया। प्रकाश व्यवस्था कमल किशोर शर्मा, संगीत धनेश और पवन शर्मा तथा मंच सज्जा नारायण शर्मा की रही।
