
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है। साथ ही यह विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आजादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की। भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है। आज दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी भारत की गिनती की जाती है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में वृहद् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं। पूरी तरह उत्तरी गोलाद्र्ध में स्थित भारत की मुख्यभूमि 8 डिग्री 4 मिनट और 37 डिग्री 6 मिनट उत्तरी अक्षांश और 68 डिग्री 7 मिनट तथा 97 डिग्री 25 मिनट पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है । उत्तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लंबाई 3,214 कि.मी. और पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 2,933 कि.मी. है। इसकी जमीनी सीमाओं की लंबाई लगभग 15,200 कि.मी. है। जबकि मुख्यभूमि, लक्षद्वीप और अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह की तटरेखा की कुल लम्बाई 7,516.6 कि.मी है।
भारत विविध संस्कृति वाला देश है, यह विविधता लोगों, संस्कृति और मौसम में भी प्रमुखता से दिखाई देती है। हिमालय की अनश्वर बर्फ से लेकर दक्षिण के दूर दराज में खेतों तक, पश्चिम के रेगिस्तान से पूर्व के नम डेल्टा तक, सूखी गर्मी से लेकर पहाडियों की तराई के मध्य पठार की ठण्डक तक, भारतीय जीवनशैलियां इसके भूगोल की भव्यता स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। भारतीय के परिधान, भोजन और आदतें उसके उद्भव के स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। भारतीय संस्कृति अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के समान अलग अलग है। यहां के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं, अलग अलग तरह के कपड़े पहनते हैं, भिन्न भिन्न धर्मों का पालन करते हैं, अलग अलग भोजन करते हैं किन्तु उनका स्वभाव एक जैसा होता है। चाहे कोई खुशी का अवसर हो या कोई दुख का क्षण, लोग पूरे दिल से इसमें भाग लेते हैं, एक साथ खुशी या दर्द का अनुभव करते हैं। एक त्यौहार या आयोजन किसी घर या परिवार के लिए सीमित नहीं है। पूरा समुदाय या आस पड़ास उस अवसर पर खुशियां मनाने में शामिल होता है। इसी प्रकार दुख में भी पड़ोसी और मित्र उस दर्द को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय नागरिकों की सुंदरता उनकी सहनशीलता, लेने और देने की भावना तथा उन संस्कृतियों के मिश्रण में निहित है जिसकी तुलना एक ऐसे उद्यान से की जा सकती है जहां कई रंगों और वर्णों के फूल है, जबकि उनका अपना अस्तित्व बना हुआ है और वे भारत रूपी उद्यान में भाईचारा और सुंदरता बिखेरते हैं। भारत, विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के जातीय गुणों के बेजोड़ आत्मसातकरण को दर्शाता व चित्रित करता एक रंगीन केनवास है। वस्तुत: देश की यह जातीयता वह कारक है जो इसे अन्य राष्ट्रों से अलग बनाती है। इसके अलावा, सांस्कृतिक अतिरंजिका के आधिक्य, धर्मों इत्यादि, को ध्यान में रखते हुए भारत की राष्ट्रीयता की व्यापकता, एक आधार वाक्य है जिसके कारण देश को मात्र एक राष्ट्र-राज्य के रूप में देखने के बजाए बड़ी विश्व सभ्यता की आधार शिला के रूप में देखा जाता है। प्राचीन समय से ही, भारत की आध्यात्मिक भूमि ने संस्कृति धर्म, जाति, भाषा इत्यादि के विभिन्न वर्ण प्रदर्शित किए हैं। जाति, संस्कृति, धर्म इत्यादि की यह विभिन्नता अलग-अलग उन जातीय वर्गों, के अस्तित्व की गवाही देती है, जो यद्यपि एक राष्ट्र के पवित्र गृह में रहते हैं, परन्तु विभिन्न सामाजिक रिवाजों और अभिलक्षणों को मानते हैं। भारत की क्षेत्रीय सीमाएं, इन जातीय वर्गों में उनकी अपनी सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान के आधार पर भेद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में जो धर्म विद्यमान हैं वे हैं हिन्दू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, सिक्ख, धर्म, बुद्ध धर्म, और जैन धर्म। नागरिकों को, जिस भी धर्म को वे चाहते हैं, अपनाने की स्वतंत्रता है। देश में 35 अलग-अलग राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों का संचालन करते समय, विभिन्न राज्यों द्वारा, संस्कृतियों के प्रदर्शन से विभिन्न भागों में क्षेत्रीयता की भावना उत्पन्न हुई है। भारतीय संविधान ने, देश में प्रचलित विभिन्न 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की है। जिनमें से हिंदी राजभाषा है तथा भारत के अधिकांश नगरों व शहरों में बोली जाती है। इन 22 भाषाओं के अलावा, सैकड़ों बोलियां भी हैं जो देश की बहुभाषी प्रकृति में योगदान करती हैं।
भारत का संविधान
भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था। जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है। आजादी के पहले तक भारत में कई रियासतों थी। इन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाना जरूरी था। साथ ही देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो जिससे देश तेजी से विकास कर सके और नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सके। संविधान सभा द्वारा लगातार कई वर्षो तक सविंधान निर्माण हेतू विभिन्न विषयों पर चर्चा, विमर्श, संवाद किया और 2 साल, 11 महीने और 18 दिन बाद भारत का संविधान बना। संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और 26 जनवरी 1950 को देश में लागू हुआ। भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां थी तथा 22 भागों में विभाजित था। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेड़कर थे।
