सत्ता पक्ष और विपक्ष में विश्वास और संवाद से बेहतर होगा विधानसभाओं का स्तर : वासुदेव देवनानी

सत्ता पक्ष और विपक्ष में विश्वास और संवाद से बेहतर होगा विधानसभाओं का स्तर : वासुदेव देवनानी

पत्रिका से खास बातचीत में बोले राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष, जितना अधिक सदन चलेगा समस्याएं उतनी कम होंगी

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पहले की तुलना में देश में विधानसभाओं के गिरते स्तर और बिगड़ते माहौल को चिंताजनक बताया। साथ ही उन्होंने सदन के स्तर में सुधार लाने के तरकीब भी सुझाए। इसके लिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्षों को सत्ता पक्ष और विपक्ष में विश्वास स्थापित करने दोनों पक्षों में संवाद जारी रखने का सुझाव दिया। उन्होंने विधानसभाओं में नवाचार अपनाने पर भी बल दिया और केन्द्र सरकार पर संविधान बदलने के आरोप लगाने वालों पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। हाल में देवनानी कोलकाता दौरे पर आए थे। इस दौरान उनसे पत्रिका संवाददाता मनोज कुमार सिंह की खास मुलाकात के दौरान शिक्षा सहित विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर बातचीत हुई। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश।

प्रश्न: संसद के साथ ही राज्यों की विधानसभाओं के भी स्तर में गिरावट आई है। इसके क्या कारण हैं?

उत्तर: समाज में परिवर्तन आ रहा है, उसका प्रभाव राजनीति पर भी पड़ रहा है। उसी का प्रभाव विभिन्न राज्यों की विधानसभा के सदनों की कार्यवाही के दौरान देखने को मिलता है। सदन जनता की समस्याओं पर चर्चा करने और उनका समाधान निकालने के लिए है लेकिन, इन दिनों सदन में वर्चस्व दिखाने की कोशिश की जाती है। जनता की समस्याओं पर चर्चाएं बहुत कम होती हैं। इसका एक कारण सत्ता पक्ष और विपक्ष में अविश्वास पैदा होना भी है।

प्रश्न: इसमें सुधार कैसे लाया जा सकता है?

उत्तर: बहुत ही सरल है। अक्सर सदन में हंगामा होता है तो स्पीकर सदन की कार्रवाई स्थगित कर देते हैं। यह समस्या का समाधान नहीं है। स्पीकर को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में विश्वास पैदा करना चाहिए। दोनों के बीच संवाद जारी रखना चाहिए। दोनों के पक्ष सुनने चाहिए और उन्हें एक साथ लेकर चलना चाहिए। यह काम दोनों पक्षों को भी करना होगा। सभी को सदन के कायदे-कानून का पालन करने होंगे और मर्यादाओं का ख्याल रखना होगा।
सदन में चर्चा का समय बढ़ाने के साथ ही नवाचार अपनाना चाहिए। जब सभी को बोलने का अवसर मिलेगा तो सदन का स्तर और माहौल अच्छा होगा। जितना अधिक समय तक सदन चलेगा, उतनी अधिक समस्याओं का समाधान होगा। कुल मिलाकर सभी को समृद्ध भारत बनाने के लक्ष्य को सामने रखकर काम करना चाहिए। सरकारें तो आती जाती रहेंगी।

प्रश्न: क्या आपने राजस्थान विधानसभा मेंं ये फार्मूले आजमाए हैं और क्या परिणाम देखने को मिला?

उत्तर: मैंने राजस्थान विधानसभा में नवाचार शुरू किया है। अगर किसी विधायक ने अपने क्षेत्र में जनहित में कोई नवाचार किया है। उसे उस बारे में सदन में बताने का अवसर दिया जाता है। इससे सदन अधिक दिन चलेगा और विधायकों को अपनी पारी आने का इंतजार रहेगा। नतीजा विधायक सदन में अधिक समय तक उपस्थित रहेंगे। सदन में सकारात्मकता बढ़ेगी।

प्रश्न: आप संस्कार युक्त शिक्षा के पक्षधर हैं। इसके क्या कारण हैं?

उत्तर: नई पीढ़ी संस्कार भूल रही है। वो अपनी मातृ भाषाओं का महत्व नहीं दे रही है। वो कथित आधुनिकता के रंग में रंगे जा रही है। जो समाज अपनी संस्कृति भूल जाता है या उससे कट जाता है तो उस समाज और राष्ट्र का पतन हो जाता है। इसलिए मैं संस्कृति और मातृ भाषा युक्त शिक्षा की आवश्यकता पर बल देता हूं। सभी को राजनीति से ऊपर शिक्षा को लेकर काम करना चाहिए। नई पीढ़ी को सुसंस्कृत करने के लिए हमें परिवार व्यवस्था को मजबूत करना होगा। अभी बच्चों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नई पीढ़ी तकनीक का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। मैं तकनीक के इस्तेमाल करने के खिलाफ नहीं हूं पर, अपने संस्कार और सभ्यता को सर्वोपरि रखना चाहिए।

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