साउथ कोरिया में गिरफ्तारी से बचे अपदस्थ राष्ट्रपति:200 गार्ड्स ने पुलिस को घर में घुसने नहीं दिया; लगाने पर जारी हुआ था वारंट

साउथ कोरिया में गिरफ्तारी से बचे अपदस्थ राष्ट्रपति:200 गार्ड्स ने पुलिस को घर में घुसने नहीं दिया; इमरजेंसी लगाने पर जारी हुआ था वारंट

साउथ कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक-योल की गिरफ्तारी शुक्रवार को नहीं हो सकी। योल पर 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू करने के लिए आपराधिक जांच चल रही है। मंगलवार को सियोल की कोर्ट ने योल के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। साउथ कोरिया में बड़े अधिकारियों के घोटालों की जांच के लिए बनी एजेंसी (CIO) के अधिकारी और पुलिस अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल को हिरासत में लेने के लिए उनके घर पहुंचे थे। लेकिन योल की सुरक्षा में लगे करीब 200 गार्ड्स ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया। इसी बीच वहां यून के घर के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़ जुट गई और नारेबाजी करने लगी। अपदस्थ राष्ट्रपति की गिरफ्तारी को लेकर करीब 6 घंटे तक हंगामा होता रहा लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई। यून की गिरफ्तारी के लिए अब सिर्फ 3 दिन यून के खिलाफ मार्शल लॉ की जांच कर रहे करप्शन इंवेस्टिगेशन ऑफिस (CIO) ने कहा- यून को कानूनी प्रक्रिया में जांच एजेंसी की मदद करनी चाहिए। ग्राउंड पर मौजूद टीम की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भी उन्हें आज अरेस्ट नहीं किया। बता दें कि यून को गिरफ्तार करने के लिए 6 जनवरी तक का वारंट है। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए फिर से नया वारंट लेना पड़ेगा। 150 कर्मियों के साथ अरेस्ट करने पहुंची थी पुलिस-CIO की टीम
यून को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की दर्जनों बसें और कई ऑफिसर्स को आवास के बाहर तैनात किया गया था। इसके बाद पुलिस अधिकारियों और CIO की टीम के 20 सदस्य घर की ओर बढ़े। विरोध-प्रदर्शन बढ़ता देख करीब 150 पुलिस और आ गई। इनमें से ज्यादातर पुलिस परिसर के अंदर घुस गई बावजूद उन्हें सेना और प्रदर्शनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। बता दें कि साउथ कोरिया में राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी यून के सुरक्षा की जिम्मेदारी सेना के जवानों पर है। वहीं, यून के वकील यून गाब क्यून ने गिरफ्तारी वारंट को अवैध और गलत बताया है। राष्ट्रपति योल को इमजरेंसी लगाने की जरूरत क्यों पड़ी थी? साउथ कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं। इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी पार्टी DPK को भारी जनादेश दिया था। सत्ताधारी पीपुल पावर को सिर्फ 108 सीटें मिलीं, जबकि विपक्षी पार्टी DPK को 170 सीटें मिलीं। बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK, राष्ट्रपति सरकार के कामकाज में ज्यादा दखल दे रही थी, और वे अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे। राष्ट्रपति योल ने 2022 में मामूली अंतर से चुनाव जीता था। इसके बाद से उनकी लोकप्रियता घटती चली गई। उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा। फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 17% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है। इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया। उन्होंने DPK पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। दक्षिण कोरिया में सिर्फ 6 घंटे में ही क्यों खत्म हुई ? राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ के ऐलान के बाद पूरा विपक्ष थोड़ी ही देर में संसद पहुंच गया। मार्शल लॉ कानून को हटाने के लिए संसद में 150 से ज्यादा सांसद होने चाहिए। जब तक सेना संसद पर कब्जे के लिए पहुंची, पर्याप्त सांसद संसद में पहुंच चुके थे और कार्यवाही शुरू हो गई थी। हालांकि सेना ने कार्यवाही रोकने की कोशिश की। सांसद में वोटिंग के लिए जा रहे कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में ले लिया गया। जवानों ने अंदर घुसने के लिए संसद की खिड़कियां तोड़नी शुरू कीं, लेकिन जब तक जवान भीतर पहुंचते, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ वाले प्रस्ताव को मतदान कर गिरा दिया। दक्षिण कोरिया के संविधान के मुताबिक अगर संसद में सांसदों का बहुमत देश में मार्शल लॉ हटाने की मांग करता है तो सरकार को इसे मानना होगा। संविधान के इसी प्रावधान का विपक्षी नेताओं को फायदा मिला और सेना को अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी। सेना ने तुरंत संसद को खाली कर दिया और वापस लौट गई। संसद के ऊपर हेलिकॉप्टर और सड़क पर मिलिट्री टैंक तैनात थे, उन्हें वापस जाना पड़ा। ——————————— साउथ कोरिया से जुड़ी ये खबर भी पढ़े… साउथ कोरिया की संसद में हंगामा, सांसदों ने कॉलर पकड़े:देश में 14 दिन में 3 राष्ट्रपति, इमरजेंसी के बाद महाभियोग से हटे 2 प्रेसिडेंट साउथ कोरिया की संसद में शुक्रवार को प्रधानमंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू को महाभियोग चलाकर पद से हटा दिया गया। उन्हें हटाने के पक्ष में 192 वोट पड़े, जबकि इसके लिए 151 वोटों की जरूरत थी। महाभियोग की वजह से संसद में काफी हंगामा हुआ। इस वजह से सांसदों ने एक-दूसरे के कॉलर पकड़ लिए। पूरी खबर यहां पढ़े…

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