किशनगंज में होली का त्योहार शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाया गया। होलिका दहन के बाद से ही रंग अबीर लगाने का सिलसिला शुरू हुआ था। शहर और गांव दोनों जगह लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। शांति के साथ मनाई गई होली गुरुवार की शाम पांच बजे से शुरू हुई गुलाल की होली रात दस बजे तक चलती रही। वहीं, शुक्रवार को रोल बाग, गांधी चौक, पश्चिम पाली चौक, डे-मार्केट समेत कई इलाकों में युवाओं की टोलियां रंग खेलती दिखीं। दोपहर तीन बजे तक रंगों की होली चली। सड़कें और घरों के आंगन रंगों से सराबोर हो गए। डीएम-एसपी ने भी एक-दूसरे को रंगा
होली के दिन जिलाधिकारी विशाल राज और एसपी सागर कुमार ने भी एक-दूसरे के साथ जमकर होली खेली। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस को विशेष निर्देश दिए गए थे कि असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखा जाए। शहर में डीजे बजाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया था। बच्चों और युवाओं में दिखा उत्साह ग्रामीण इलाकों में होली गायन की परंपरा निभाई गई। बच्चों और युवाओं ने बड़ों के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। बड़े-बुजुर्गों ने छोटों को उपहार भी दिए। बुजुर्गों में भी फगुनहट का असर दिखा और उन्होंने भी रंगों में डूबकर त्योहार का आनंद लिया। गली-मोहल्लों में बच्चों ने पानी में रंग घोलकर आने-जाने वालों पर छिड़काव किया। किशनगंज में होली का त्योहार शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाया गया। होलिका दहन के बाद से ही रंग अबीर लगाने का सिलसिला शुरू हुआ था। शहर और गांव दोनों जगह लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। शांति के साथ मनाई गई होली गुरुवार की शाम पांच बजे से शुरू हुई गुलाल की होली रात दस बजे तक चलती रही। वहीं, शुक्रवार को रोल बाग, गांधी चौक, पश्चिम पाली चौक, डे-मार्केट समेत कई इलाकों में युवाओं की टोलियां रंग खेलती दिखीं। दोपहर तीन बजे तक रंगों की होली चली। सड़कें और घरों के आंगन रंगों से सराबोर हो गए। डीएम-एसपी ने भी एक-दूसरे को रंगा
होली के दिन जिलाधिकारी विशाल राज और एसपी सागर कुमार ने भी एक-दूसरे के साथ जमकर होली खेली। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस को विशेष निर्देश दिए गए थे कि असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखा जाए। शहर में डीजे बजाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया था। बच्चों और युवाओं में दिखा उत्साह ग्रामीण इलाकों में होली गायन की परंपरा निभाई गई। बच्चों और युवाओं ने बड़ों के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। बड़े-बुजुर्गों ने छोटों को उपहार भी दिए। बुजुर्गों में भी फगुनहट का असर दिखा और उन्होंने भी रंगों में डूबकर त्योहार का आनंद लिया। गली-मोहल्लों में बच्चों ने पानी में रंग घोलकर आने-जाने वालों पर छिड़काव किया।
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