Antarctica: दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिकों की टीम ने अंटार्कटिका की सतह से लगभग 2.8 किलोमीटर की गहराई तक ड्रिलिंग कर बर्फ का अब तक का सबसे पुराना नमूना निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बर्फ 12 लाख साल (12 Lakh Year Old Ice) पुरानी है। इससे धरती के वातावरण और जलवायु में बदलाव को समझने में मदद मिलेगी। बर्फ की जांच से यह भी पता चल सकेगा कि हिमयुग (Ice Age) के चक्रों में कैसे और क्या बदलाव हुए।
किस पर होगा अध्ययन
इटली (Italy) के ग्लेशियर विज्ञानी और इस प्रोजेक्ट ‘बियॉन्ड एपिका’ के कोऑर्डिनेटर कार्लो बारबांते ने कहा, बर्फ के नमूने से हम समझ पाएंगे कि ग्रीनहाउस गैसों, रसायनों और वातावरण में धूल के स्तर में क्या बदलाव हुआ है। बारबांते इटली की नेशनल रिसर्च काउंसिल के पोलर साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक भी हैं।
इस प्रोजेक्ट पर यूरोपीय आयोग के साथ ही बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नॉर्वे, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन ने सहयोग किया।
2.8 किमी की गहराई में ड्रिल किया
इससे पहले यही टीम करीब 800,000 साल पुरानी बर्फ का नमूना निकाल चुकी है। इस बार 16 वैज्ञानिक और सपोर्ट स्टाफ की टीम ने चार साल तक अंटार्कटिका की कड़ी ठंड (औसतन -35 डिग्री सेल्सियस) के बीच ‘लिटिल डोम’ नामक स्थान पर 2.8 किलोमीटर की गहराई तक ड्रिलिंग कर यह कामयाबी पाई। इटली के शोधकर्ता फेडेरिको स्कोटो के मुताबिक आइसोटोप विश्लेषण से पता चला कि यह बर्फ कम से कम 12 लाख साल पुरानी है।
इन सवालों के मिलेंगे जवाब
1-पृथ्वी के वातावरण और जलवायु से जुड़ी पहेली सुलझेगी।
2-हिमयुग के पुराने दौर में तापमान और ग्रीनहाउस गैसों के बीच बीच संबंध।
3-बढ़ते तापमान का पृथ्वी पर क्या असर होगा।
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