अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में छात्रों से अधिक छात्राएं, फिर भी बंद करने पर तुली सरकार

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में छात्रों से अधिक छात्राएं, फिर भी बंद करने पर तुली सरकार

नागौर. राज्य सरकार ने महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए मंत्रिमंडलीय कमेटी का गठन कर संशय पैदा कर दिया है। इससे पहले सत्र की शुरुआत के समय सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के लिए रिपोर्ट मांगी थी, उस समय भी विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में असमंजस की स्थिति बनी, लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में प्रवेश हुए। अब एक बार फिर सरकार ने समीक्षा की बात की तो स्कूलों को बंद करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं, जबकि शिक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 3737 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलें संचालित हो रही हैं, जिनमें 6.89 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं और इनमें भी छात्राओं की संख्या छात्रों से करीब 54 हजार अधिक है। ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में कितना के्रेज है। ऐसे में विशेषज्ञों एवं अभिभावकों भी यही कहना है कि सरकार को अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों को बंद करने की बजाए इन स्कूलों में रिक्त पड़े पदों को भरना चाहिए, ताकि जो बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं ले सकते, उन्हें सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेकर भी अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने करने का अवसर मिल सके।

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासन में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों का संचालन शुरु किया गया था। बीच सत्र में सरकार का कहना है कि इंग्लिश मीडियम की सभी स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन इसकी समीक्षा करना जरूरी है। समीक्षा से सरकारी अंग्रेजी मीडियम की स्कूलों की वास्तविक स्थिति सामने आएगी। सरकार का यह भी कहना है कि योग्य शिक्षक और पाठ्य सामग्री को लेकर कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं।

फैक्ट फाइल

प्रदेश में महात्मा गांधी विद्यालयों (अंग्रेजी माध्यम) की स्थिति

कुल विद्यालय – 3737

सत्र 2024525 में कुल नामांकन – 6,89,378

छात्र – 3,17,658

छात्रा – 3,71,720

कांग्रेस सरकार ने चार साल में खोले 3737 अंग्रेजी विद्यालय

वर्ष – खोले गए विद्यालय

2019-20 – 33

2020-21 – 172

2021-22 – 1181

2022-23 – 1686

2023-24 – 665

कुल – 3737

सरकार तय नहीं कर पा रही

राज्य की भाजपा सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान समीक्षा के लिए रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद सभी स्कूलों को चालू रखा गया। इसके बाद इन स्कूलों में रिक्त शिक्षकों के पदों को भरने के लिए स्टाफ चयन प्रक्रिया अपनाई, जिसके तहत 25 अगस्त 2024 स्टाफ चयन प्रक्रिया परीक्षा करवई, जिसके साढ़े चार महीने बीत जाने के बाद भी उत्तीर्ण हुए शिक्षकों को अब तक जिला आवंटन नहीं किया गया और स्कूलों की समीक्षा के लिए कमेटी गठित कर दी। ऐसे में परीक्षा पास कर चुके शिक्षक नियुक्ति की उम्मीद लगाए बैठे हैं और इधर, समीक्षा के नाम पर टाइमपास कर रही है। शिक्षकों के पद रिक्त होने का असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

पूर्व शिक्षा मंत्री खड़े कर चुके सवाल

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर बार-बार सरकार की ओर से की जा रही बयानबाजी के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी गत दिनों सवाल खड़े किए थे। डोटासरा ने कहा कि पहले जो फार्म भरवा गए थे, वे 33 जिलों के आधार पर थे, लेकिन अब नए जिलों के जुडऩे के बाद क्या फिर से जिला चयन फार्म भरवाए जाएंगे। यदि ऐसा है तो फिर इस प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो रही है। डोटासरा ने यह भी कहा कि स्कूलों के नामांकन, शिक्षकों की नियुक्ति एवं इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर शिक्षा मंत्री एक साल अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने का भ्रम फैला रहे हैं, जिससे सत्र 2024-25 में स्कूलोंं का नामांकन 4.6 प्रतिशत घटा है।

अंग्रेजी माध्यम के लिए अलग से कैडर बनाया जाए

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए अलग कैडर बनाया जाकर नियमित शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए, ताकि बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इसके अलावा अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में हिन्दी माध्यम में पढऩे के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए हिन्दी माध्यम का विकल्प भी खुला रखते हुए दोनों माध्यम की पढ़ाई होनी चाहिए। ताकि विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार अंग्रेजी या हिन्दी माध्यम की पढ़ाई कर सके।

– बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ ?शिक्षक संघ

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