भारत (India) और चीन (China) के बीच संबंधों में पिछले कुछ साल से काफी खटास देखने को मिली है। एलएसी (LAC) मुद्दे पर दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार पड़ी है। हालांकि अक्टूबर में दोनों देशों ने इस मामले पर बातचीत की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने भी रूस (Russia) के कज़ान (Kazan) शहर में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) में एक-दूसरे से मुलाकात की थी। 5 साल बाद दोनों देश के लीडर्स के बीच यह मुलाकात हुई थी, जिसके दौरान LAC पर भी चर्चा हुई थी। भारत-चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों ने बॉर्डर से अपनी सेना को पीछे हटाने का भी फैसला लिया था। लेकिन चीन अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
चीन ने किया LAC के पास सैन्याभ्यास
भारत इस समय गणतंत्र दिवस की तैयारी में है। इसी बीच चीन ने एक बड़ा कदम उठाया है। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने LAC के पास सैन्याभ्यास किया। चीन की सेना का यह सैन्याभ्यास शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजिमेंट के नेतृत्व में किया गया। इस दौरान चीन की सेना ने ड्रोन्स, कई हथियारों और कई एडवांस सिस्टम्स का भी इस्तेमाल किया।
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दोनों देशों में बढ़ सकता है तनाव
चीन की इस हरकत से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात के साथ ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) और चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के बीच हुई मुलाकात के दौरान भी एलएसी मुद्दे पर बातचीत हुई थी। इस बातचीत में दोनों देशों की सेना को बॉर्डर से पीछे हटाना और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करना अहम विषय थे। हालांकि इसके बावजूद चीन का LAC पर सैन्याभ्यास करना कोई छोटी बात नहीं है। यह साफ है कि चीन ने यह कदम एक रणनीति के तहत उठाया है। ऐसे में ‘ड्रैगन’ के इस कदम से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है।
भारतीय विदेश मंत्री भी LAC समझौते को बता चुके हैं अहम
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) कुछ हफ्तों पहले LAC समझौते को अहम बता चुके हैं। जयशंकर के अनुसार दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और शांति बनाए रखने के लिए LAC समझौता काफी ज़रूरी है और इसका पालन करना दोनों देशों के लिए अहम है।
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