China : चीन ने दुनिया में जहाज निर्माण (shipbuilding industry) का सरताज बनने और वैश्विक समुद्री व सप्लाई चेन (maritime supply chains)पर हावी होने के लिए न केवल बौद्धिक संपदा की चोरी (intellectual property theft) की, बल्कि अनुचित नीतियों और कारोबारी आचरण (unfair trade practices) को अंजाम दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन की करीब एक साल की जांच में खुलासा किया गया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन (China)ने जहाज निर्माण और मैरीटाइम इंडस्ट्री में वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम किया। इसके तहत अपने जहाज निर्माण और मैरीटाइम इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने के लिए सब्सिडी, विदेशी कंपनियों के लिए बाधाएं खड़ी करना, जबरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा की चोरी और श्रमिकों को कम वेतन जैसे कदमों का उपयोग किया गया।
1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत जांच
उल्लेखनीय है कि चीन के खिलाफ यह जांच 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत की गई है। यह कानून अमरीका को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है जो अनुचित या गैर ईमानदार कारोबारी कृत्यों में संलग्न रहते हुए अमरीकी कारोबार पर बोझ डालते हैं।
50 फीसदी पर चीन का कब्जा, भारत 20वें नंबर पर
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी सब्सिडी और अनुचित नीतियों के चलते 150 बिलियन डॉलर के वैश्विक जहाज निर्माण उद्योग में चीन की हिस्सेदारी 2000 में लगभग 5% से बढ़कर 2023 में 50% से अधिक हो गई जबकि एक समय में अग्रणी रहने वाले अमरीका की हिस्सेदारी 1% से भी कम हो गई है। वैश्विक बाजार में भारत का जहाज निर्माण में 20वां स्थान है। भारत 2030 तक इस बाजार में 10वां और 2024 तक 5वां निर्माणकर्ता बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
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