दुनियाभर में टेक्नोलॉजी (Technology) तेज़ी से एडवांस हो रही है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में कई चीज़ें तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिनमें एआई – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI – Artificial Intelligence) भी शामिल है। दुनियाभर में एआई का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही इस पर निर्भरता भी। हालांकि इससे कई क्षेत्रों में काफी फायदा भी हो रहा है, लेकिन एआई पर निर्भरता बढ़ना सही नहीं है।
सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा
एआई के बढ़ते इस्तेमाल के चलते छात्रों में सोचने-समझने की क्षमता कम हो रही है। ब्रिटेन में 17 साल से ज़्यादा उम्र के 650 से अधिक लोगों पर किए सर्वे में सामने आया कि युवा ज़्यादातर संज्ञानात्मक अपलोडिंग करते है। इसका अर्थ है, वह चीजों को याद रखने और अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए एआई पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं, जिससे उनमें विश्लेषण करने, तर्क करने और समस्याओं का समाधान खोजने की क्षमता कम हो रही है। सर्वे में खुलासा हुआ कि युवा जितना ज़्यादा एआई टूल्स पर निर्भर रहते हैं, उनकी सोच और विमर्श की क्षमता उतनी ही कम होती जा रही है। शोध में युवाओं की तुलना में बड़े लोग एआई पर कम निर्भर पाए गए।
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तीन ग्रुप में पूछे गए सवाल
सर्वे में प्रतिभागियों को तीन एज ग्रुप (17-25, 26-45, 46 और उससे ज़्यादा) में बांटा गया। इनमें शिक्षा के स्तर भी अलग-अलग थे। इसके बाद इन लोगों से 23 सवाल पूछे गए, जिनसे पता चला कि वो एआई टूल्स का कितना इस्तेमाल करते हैं और उस पर कितना निर्भर हैं। साथ ही उनके सोचने-समझने की क्षमता को भी मापा गया। कुछ प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि निर्णय लेने के लिए एआई पर उनकी निर्भरता ने उनके सोचने-समझने की क्षमता को कम कर दिया है।
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