जापान में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामलों में वृद्धि, जानिए भारत में क्या है इसकी स्थिति

जापान में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामलों में वृद्धि, जानिए भारत में क्या है इसकी स्थिति

Mycoplasma Pneumonia: माइकोप्लाज्मा निमोनिया बच्चों में होने वाला संक्रमण है। ऐसे में जापान में इसके मामलों में वृद्धि देखने को मिली है। इसमें बच्चे को खार, थकान, सिरदर्द और लगातार जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के अनुसार माना जा रहा है कि 12 जनवरी तक माइकोप्लाज्मा निमोनिया रोगियों की साप्ताहिक औसत संख्या 1.11 तक पहुंच गई जहां पर इससे पहले के सप्ताह की तुलना में 0.34 की वृद्धि देखी गई है। जिसे बीते एक दशक में सबसे अधिक माना जा रहा है।

माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लक्षण क्या है : What are the symptoms of mycoplasma pneumonia?

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माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लक्षणों की बात की जाए तो इसमें बुखार, थकान, सिरदर्द और लगातार खांसी आदि शामिल है। ये लक्षण जब व्यक्ति बैक्टीरिया के संपर्क में आता है उसके एक से चार सप्ताह तक दिखाई दे सकते हैं। जो कई कई हफ्तों तक रह सकते हैं। इस बीमारी में सर्दी-जुकाम जैेसे लक्षण शुरू होते हैं लेकिन बढ़ते बढ़ते इसमें गालों पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।

कैसे फैलता है माइकोप्लाज्मा निमोनिया : How does Mycoplasma pneumonia spread?

एम न्यूमोनिया सांसों में मौजूद वाष्प की छोटी बूंदों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस संक्रमण के मामले ज्यादातर सर्दियों के महीनों में देखें गए है। माना जाता है कि अमेरिका की लगभग एक प्रतिशत आबादी हर साल संक्रमित होती है। यह संक्रमण हल्का हो सकता है इसमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती हैं।

विशेषज्ञों ने मास्क पहनने को कहा औरसंक्रमण की रोकथाम के उपायों के महत्व पर बल दिया। क्योंकि इन्फ्लूएंजा भी व्यापक रूप से फैल रहा है।

भारत में माइकोप्लाज्मा निमोनिया की स्थिति : Status of Mycoplasma pneumonia in India

अभी भारत में माइकोप्लाज्मा निमोनिया की स्थिति ठीक है और इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की और से कोई सुचना जारी नहीं की गइ है। लेकिन अप्रैल 2024 से सितंबर 2024 के बीच माइकोप्लाज्मा निमोनिया के सात मामलों का पता लगाया था।

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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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