Ganga जिसे भारत की सबसे लंबी नदी माना जाता है, उत्तराखंड के गोमुख से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश के रास्ते बंगाल की खाड़ी तक 2,525 किलोमीटर का सफर तय करती है। हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है, और धार्मिक कार्यों में इसका विशेष महत्व है। गंगा के जल को लेकर एक खास बात यह है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। इसे लेकर पौराणिक मान्यताओं के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी जुड़े हुए हैं।
यह खबर पढ़ें:- Ranveer Allahbadia या Samay Raina दोनों में से कौन ज्यादा पढ़ा-लिखा, क्यों हो रहे हैं ये दोनों वायरल?
Gangajal: गंगाजल पर वैज्ञानिक अध्ययन की शुरुआत
गंगाजल की शुद्धता का अध्ययन 1890 के दशक में शुरू हुआ, जब भारत में अकाल और हैजा जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ा। इस दौरान प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के माघ मेले में हैजा तेजी से फैला, और बड़ी संख्या में मौतें हुई। जिनके लाशों को गंगा में फेंका जाने लगा। बावजूद इसके, गंगा का पानी इस्तेमाल करने वाले कई लोग सुरक्षित रहे। ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैन्किन, जो बैक्टीरिया पर शोध कर रहे थे, इसे देखकर आश्चर्यचकित हुए।
यह खबर पढ़ें:- JEE Main Final Answer Key Out: जेईई मेन आंसर की जारी, इतने सवाल किये गए ड्राप
Gangajal में पाएं जाते हैं बैक्टीरिया को मारने वाले पदार्थ
हैन्किन ने गंगा के पानी के नमूनों का अध्ययन किया और पाया कि इसमें बैक्टीरिया का स्तर अपेक्षाकृत कम था, जबकि गंगा में स्नान, कचरा और शवों के प्रवाह के बावजूद इसका पानी रोग फैलाने वाला नहीं था। 1895 में प्रकाशित अपने शोध में उन्होंने बताया कि गंगाजल में एक ऐसा बैक्टीरिया मौजूद है, जो हैजे के बैक्टीरिया को खत्म कर सकता है। हैन्किन के बाद फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने भी गंगाजल पर अध्ययन किया। उन्होंने इसमें पाए जाने वाले वायरसों की पहचान की, जो बैक्टीरिया को खत्म कर सकते थे। इन वायरसों को “निंजा वायरस” कहा गया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, गंगा के पानी में करीब 1000 प्रकार के बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने वाले वायरस होते हैं।
Gangajal का महत्त्व
दुनियाभर में गंगा जल का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत अधिक है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को देवी माना जाता है। गंगा को लेकर ऐसी मान्यता है कि गंगा जल में स्नान करने और इसे घर में रखने से पापों का नाश होता है। गंगाजल का प्रयोग पूजा-पाठ, यज्ञ, और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
Gangajal: गंगाजल की विशेषताएं
गंगाजल में अन्य नदियों की तुलना में अधिक बैक्टीरियोफेज और सल्फर पाया जाता है। यही कारण है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। इसके अलावा, गंगा का पानी वायुमंडल से ऑक्सीजन सोखने की अधिक क्षमता रखता है और 20 गुना ज्यादा गंदगी को सोखता है। अन्य नदियों, जैसे यमुना या नर्मदा, में बैक्टीरियोफेज की संख्या गंगा से अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे उनका पानी जल्दी खराब हो सकता है।
यह खबर पढ़ें:- UPSC CSE 2025 Form: यूपीएससी सिविल सेवा और वन सेवा के लिए आवेदन की अंतिम तारीख आगे बढ़ी, जानें नए डेट्स
No tags for this post.