Pariksha Pe Charcha 2025 Episode 6: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 फरवरी को ‘परीक्षा के चर्चा’ (PPC 2025) कार्यक्रम की शुरुआत की। अभी तक इस कार्यक्रम में बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, टेक्निकल गुरुजी गौरव चौधरी, गुरु जग्गी वासुदेव यानी सद्गुरु जैसे कई नामचीन हस्तियां आ चुके हैं। वहीं बीते रविवार को PPC 2025 के छठवें एपिसोड में अभिनेत्री भूमि पेडनेकर और अभिनेता विक्रांत मैसी ने छात्रों से बातचीत की। अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने छात्रों को तनाव मुक्त होकर अपनी खूबियों पर फोकस करने की सलाह दी है। उन्होंने बच्चों से कहा कि नेगेटिव माहौल में भी अपनी ताकत को पहचानें और वॉरियर बनें वरियर (चिंता करने वाला) नहीं।
फोकस के लिए ब्रेक जरूरी
भूमि ने बताया कि उन्हें बचपन में ही एहसास हो गया था कि उन्हें अभिनेत्री बनना है। उन्होंने बताया कि मैं बचपन में खूब पढ़ाई करती थी, इसलिए मैं यही सोचती थी कि मुझे सोना नहीं है और मैं बहुत कम नींद लेती थी। लेकिन आज मैं शूटिंग से ब्रेक मिलते ही जल्दी-जल्दी खाना खाती हूं और फिर कम से कम आधे घंटे सोने चली जाती हूं क्योंकि प्रॉपर नींद शार्प बनने का साधन है। उन्होंने कहा कि फोकस के लिए ब्रेक लेना जरूरी है। उन्होंने बताया कि वह बचपन में दिन भर में केवल एक घंटे का ब्रेक लेती थीं और बाहर खेलने चली जाती थीं। ब्रेक के दौरान डांस भी करती थीं।
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अपनी स्ट्रेंथ पर खेलें
भूमि ने अपनी जिंदगी के उस हिस्से के बारे में भी बात की जब उनके पिता का निधन हुआ था। उस घड़ी में वह कैसे निकलीं, इसके बारे में भी बच्चों को बताया। उन्होंने कहा कि आप सभी को अपनी स्ट्रेंथ पर खेलना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मुझे जब कोई सीन मिलता है तो मैं एक सीन को फन तरीके से अलग-अलग इमोशन में पढ़ती हूं। कभी खुशी, कभी दुख में, कभी एक्साइट होकर तो कभी उदास होकर। भूमि ने बच्चों के साथ भी वही फन एक्टिविटी की, जिसमें बच्चों ने एक चैप्टर को कई इमोशंस में पढ़ा।
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अपनी कोशिशों को नजरअंजाद न करें, पूरा सम्मान दें
वहीं अभिनेता विक्रांत मैसी ने बच्चों को पावर टूल जर्नलिंग, पावर ऑफ विजुअलाइजेशन का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि अपनी कोशिशों को नजरअंदाज न करें, उन्हें पूरा सम्मान दें। बच्चों के साथ बातचीत में विक्रांत ने बच्चों को भाग्यशाली बताया कि उन्हें इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत का मौका मिला। उन्होंने कहा कि हमारे समय में इतनी सुविधा नहीं थी। हमारे बचपन में कर्फ्यू जैसा माहौल होता था परीक्षा के दौरान। हम पूरे साल खेल खेलते थे, मगर परीक्षा में खेल का सवाल ही नहीं उठता था। हमारे समय में केवल टीवी हुआ करता था और केबल भी काट दिया जाता था।
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स्किल्स को पहचानें
विक्रांत ने पेरेंट्स के लिए कहा कि बच्चों पर अनजाने में दबाव न बनाएं। उनकी स्किल्स को पहचानें, नंबरों के पीछे ना भागें। नजरें नीचे और सोच ऊपर रखें। विक्रांत ने पावर टूल जर्नलिंग के बारे में भी बच्चों को बताया। उन्होंने कहा आपको दिन में 10 मिनट या हफ्ते में 40 मिनट निकालने हैं और आपको उन चीजों के बारे में सोचना है और उसे लिखना है, जो आप लाइफ में अचीव करना चाहते हैं। आप अपनी खुशियां, निराशा और लक्ष्य पर लिखें। आपने दिन भर क्या किया, उसके लिए यदि आप लिखने लगते हैं, तो ये भी एक तरह का मेनिफेस्टेशन है।
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