फिल्म: बैदा
राइटर और डायरेक्टर: पुनीत शर्मा
कास्ट: सुधांशु राय, सौरभ राज जैन, मनीषा शर्मा, तरुण खन्ना, शोभित सुजय, हितेन तेजवानी
रेटिंग: 4/5
Baida Movie Review: बॉलीवुड में साइंस-फिक्शन और सुपरनैचुरल थ्रिलर की फिल्में कम ही देखने को मिलती हैं, लेकिन पुनीत शर्मा की ‘बैदा’ इस जॉनर में एक ताज़ा हवा की तरह है। ये फिल्म दर्शकों को एक ऐसी रहस्यमय दुनिया में ले जाती है, जहां समय, मौत और अलौकिक शक्तियों का टकराव एक अविस्मरणीय कहानी को जन्म देता है। पुनीत शर्मा ने अपने निर्देशन और लेखन के जरिए इस फिल्म को एक यादगार सिनेमाई अनुभव बना दिया है।
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बैदा फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक पूर्व जासूस रामबाबू (सुधांशु राय) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी खतरनाक पेशेवर जिंदगी से ऊबकर एक सेल्समैन बन जाता है। उसे उत्तर प्रदेश के दूरदराज के गांवों में भेजा जाता है, जहां उसका सामना एक रहस्यमय और डरावनी शक्ति से होता है। ये शक्ति, जिसे पिशाच (सौरभ राज जैन) के रूप में दिखाया गया है, समय और मौत को चुनौती देती है। फिल्म की कहानी ब्रिटिश काल और आधुनिक ग्रामीण भारत के बीच झूलती है, जो दर्शकों को एक मायावी और रोमांचक यात्रा पर ले जाती है।
पुनीत शर्मा ने फिल्म को एक रहस्यमय और रोमांचक माहौल दिया है। फिल्म की शुरुआत हितेन तेजवानी के किरदार से होती है, जो कहानी की पृष्ठभूमि बताता है। इसके बाद फिल्म एक जीप सीक्वेंस के साथ आगे बढ़ती है, जहां मुख्य किरदार रामबाबू का परिचय होता है। फिल्म में फ्लैशबैक्स का इस्तेमाल बहुत ही सहज और प्रभावी तरीके से किया गया है, जो कहानी को और गहराई और रहस्यमयता प्रदान करता है।
कैसा है अभिनय
अभिनय की बात करें तो सुधांशु राय ने रामबाबू के किरदार को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से निभाया है। उनकी एक्टिंग में वह सहजता और गहराई है, जो दर्शकों को कहानी से जोड़े रखती है। सौरभ राज जैन ने पिशाच के रूप में एक डरावना और रहस्यमय किरदार पेश किया है। उनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुन और अभिनय फिल्म को और रोमांचक बनाते हैं। मनीषा शर्मा और तरुण खन्ना ने भी अपने किरदारों में जान डाली है।
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शोभित सुजय ने गोलू के किरदार को बहुत ही मनमोहक और प्रभावी ढंग से निभाया है। उनकी अदाकारी ने फिल्म को एक हल्कापन और हास्य का पुट दिया है, जो गंभीर और रहस्यमय माहौल में एक ताज़गी लाता है। गोलू का किरदार न केवल दर्शकों को हंसाता है, बल्कि कहानी को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

फिल्म का सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर इसकी खासियत है। घने जंगल, कोहरा और रहस्यमय माहौल को कैमरे में बहुत ही खूबसूरती से कैद किया गया है। फिल्म का संगीत और ध्वनि प्रभाव दर्शकों को कहानी में डूबा देता है।
कुल मिलाकर, ‘बैदा’ एक ऐसी फिल्म है जो अपने अनोखे कॉन्सेप्ट, रोमांचक कहानी और दमदार परफॉर्मेंस के लिए जानी जाएगी। पुनीत शर्मा ने एक बार फिर साबित किया है कि वह एक बेहतरीन कहानीकार और निर्देशक हैं। यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो कुछ नया और अलग देखना चाहते हैं।
क्यों देखें बैदा:
बैदा वास्तव में अपनी तरह की पहली साइंस-फिक्शन सुपरनैचुरल थ्रिलर है, जो भारतीय दर्शकों को बड़े पर्दे पर एक नया अनुभव देती है। ये फिल्म अपने पाथब्रेकिंग कॉन्सेप्ट और उम्दा निर्देशन के कारण सिनेप्रेमियों को जरूर पसंद आएगी।
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