बड़ी उम्मीदों से मां-बाप अपने बच्चों को बड़ा करते हैं कि जब वो बूढ़े होंगे तो बच्चे उनके बुढ़ापे की लाठी बनेंगे। जब मां-बाप बूढ़े होते हैं तो वहीं बच्चे उन्हें बोझ समझने लगते हैं। राज्य में ऐसी ही एक अमानवीय और चौंकाने वाली प्रवृत्ति देखी जा रही है। अमूमन संपत्ति का अधिकार अपने नाम हस्तांतरित कराने के बाद बच्चों ने बेसहारा मां-बाप को अस्पतालों में छोड़ दिया है। राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ऐसे बुजुर्ग माता-पिता की संख्या तेजी से बढ़ी है जिसपर सरकार ने गहरी चिंता जाहिर की है।
राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने ऐसे मामलों में वसीयत और संपत्ति हस्तांतरण को रद्द करने की बात कही है। मंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अकेले बेलगावी आयुर्विज्ञान संस्थान (बीआइएमएस) में 150 से अधिक मामले सामने आए हैं जहां बच्चों ने अपने मां-बाप को बेसहारा छोड़ दिया है। राज्य भर के अन्य चिकित्सा संस्थानों में ऐसे 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। बीआइएमएस के निदेशक ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल के समक्ष जब इस मुद्दे को उठाया तो उन्होंने गंभीर चिंता जाहिर करते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) डॉ. बीएल सुजाता राठौड़ को निर्देश दिया कि सभी संस्थान प्रमुखों को सचेत करे और जिम्मेदार बच्चों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजस्व विभाग के सहायक आयुक्तके पास शिकायत दर्ज कराएं। उन्होंने परित्यक्त माता-पिता की ओर से अपने बच्चों के पक्ष में की गई वसीयत और संपत्ति हस्तांतरण को रद्द करने पर भी विचार करने को कहा।
संपत्ति हस्तांतरण के बाद छोड़ दिया बेसहारा
दरअसल, ऐसे कई बेसहारा माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे यह जानकर उन्हें अस्पतालों में छोड़ गए हैं कि उन्हें भोजन, कपड़े और आश्रय मिलता रहेगा। कुछ बच्चे आर्थिक कठिनाइयों का हवाला दिए। अधिकांश मामलों में बुजुर्गों को उनके बच्चों के नाम अपनी संपत्ति हस्तांतरित करने के बाद छोड़ दिया गया है। इन परित्यक्त वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए बीआइएमएस के अधिकारियों ने कुछ अलग व्यवस्थाएं भी हैं। लगभग 70 बुजुर्गों के लिए बेलगावी और उसके आसपास के वृद्धाश्रमोंं में आश्रय की व्यवस्था की है, जबकि कई अन्य अस्पतालों में ही हैं।
राजस्व विभाग में शिकायत तर्ज कराने के निर्देश
पाटिल ने इस बात पर जोर दिया कि चिकित्सा संस्थानों के निदेशकों को शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सहायक आयुक्त माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इस कानून से अनभिज्ञ हैं। इस कानून के तहत यह अनिवार्य है कि बच्चों या रिश्तेदारों को वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय और चिकित्सा सहायता प्रदान करनी है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो माता-पिता को अपने बच्चों के पक्ष में किए गए संपत्ति हस्तांतरण को रद्द करने का कानूनी अधिकार है। अधिनियम की धारा 23 के अनुसार, यदि बच्चे संपत्ति विरासत में मिलने के बाद अपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं या उन्हें छोड़ देते हैं, तो कानून वसीयत या संपत्ति हस्तांतरण को रद्द करने और बुजुर्ग माता-पिता को स्वामित्व बहाल करने की अनुमति देता है।
बढ़ते मामलों से सरकार चिंतित
मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों की बढ़ती रिपोर्ट से सरकार चिंतित है और बेसहारा बजुर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और उनके बच्चों को जवाबदेह बनाने के लिए कदम उठा रही है।
No tags for this post.