मनोज सिन्हा | सिमडेगा सिमडेगा जिला मुख्यालय में मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है। जिला मुख्यालय में तीन मुख्यमंत्री दाल- भात केंद्रों में रोजाना हजार- बारह सौ लोग सिर्फ 5 रु में भोजन कर रहे हैं।हालांकि इनका संचालन कर रही स्वयं सहायता समूह की दीदियों की कई समस्याएं भी हैं, उन्होंने इन समस्याओं के समाधान का आग्रह किया है। सिमडेगा जिला मुख्यालय में परिवहन कार्यालय के नजदीक रोज महिला मंडल के द्वारा मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां ढाई सौ से अधिक लोग रोजाना भोजन कर रहे हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर और दुकानों में काम कर गुजर- बसर करनेवाले लोग शामिल हैं। यहां खाना खाने आए आशीष, पिंटू और प्रवीण ने कहा कि वे दुकानों, गैरेज आदि में काम करते हैं। मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र से उन्हें काफी सुविधा हो जाती है। भोजन की गुणवत्ता भी ठीक रहती है। वहीं इस केंद्र का संचालन करनेवाले समूह की सदस्य सुमिरा ने कहा कि उनका पूरा प्रयास होता है कि खाना ठीक बने। कहा कि सरकार की ओर से चावल और सोयाबीन बड़ी की व्यवस्था कर दी जाती है, लेकिन दाल, लकड़ी आदि की खरीदारी उन्हें करनी पड़ती है, जो परेशानी की वजह है। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे यहां काम कर रही हैं। उन्होंने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि उनके लिए दाल और लकड़ी, साथ ही मानदेय की भी व्यवस्था की जाए। वही संचालन समूह की सचिव पेनेरलेंग टोप्पो ने कहा कि कोरोना के समय भी उन्होंने काफी परेशानियों को सहते हुए सबों के लिए भोजन की व्यवस्था की है। मनोज सिन्हा | सिमडेगा सिमडेगा जिला मुख्यालय में मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है। जिला मुख्यालय में तीन मुख्यमंत्री दाल- भात केंद्रों में रोजाना हजार- बारह सौ लोग सिर्फ 5 रु में भोजन कर रहे हैं।हालांकि इनका संचालन कर रही स्वयं सहायता समूह की दीदियों की कई समस्याएं भी हैं, उन्होंने इन समस्याओं के समाधान का आग्रह किया है। सिमडेगा जिला मुख्यालय में परिवहन कार्यालय के नजदीक रोज महिला मंडल के द्वारा मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां ढाई सौ से अधिक लोग रोजाना भोजन कर रहे हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर और दुकानों में काम कर गुजर- बसर करनेवाले लोग शामिल हैं। यहां खाना खाने आए आशीष, पिंटू और प्रवीण ने कहा कि वे दुकानों, गैरेज आदि में काम करते हैं। मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र से उन्हें काफी सुविधा हो जाती है। भोजन की गुणवत्ता भी ठीक रहती है। वहीं इस केंद्र का संचालन करनेवाले समूह की सदस्य सुमिरा ने कहा कि उनका पूरा प्रयास होता है कि खाना ठीक बने। कहा कि सरकार की ओर से चावल और सोयाबीन बड़ी की व्यवस्था कर दी जाती है, लेकिन दाल, लकड़ी आदि की खरीदारी उन्हें करनी पड़ती है, जो परेशानी की वजह है। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे यहां काम कर रही हैं। उन्होंने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि उनके लिए दाल और लकड़ी, साथ ही मानदेय की भी व्यवस्था की जाए। वही संचालन समूह की सचिव पेनेरलेंग टोप्पो ने कहा कि कोरोना के समय भी उन्होंने काफी परेशानियों को सहते हुए सबों के लिए भोजन की व्यवस्था की है।
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