Crime News: झाड़ियों में पड़ी नवजात बालिका ने दिल को झकझोर दिया। कैसी मां है वह, जो अपनी ही संतान को इस निर्दयता से त्याग देती है? उस मासूम के चेहरे पर बिना किसी अपराध के डर और असहायता थी। क्या उस मां का दिल नहीं पसीजा? ममता का ये अपमानजनक रूप किसी भी सभ्य समाज में नहीं हो सकता। उसकी मासूमियत, उसकी आंखों में वो खौफ, सब कुछ दिल को तोड़ने वाला था। क्या कभी उस मां ने इस बालिका की मासूमियत को महसूस किया होगा? किसी की ममता इतनी कठोर कैसे हो सकती है? इस दर्द को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
दो दिन पहले इस दुनिया में आई वह मासूम क्या अपने मां-बाप का सहारा नहीं बन सकती थी। क्या वह अर्थी को कांधा नहीं दे सकती थी। फिर इस बच्ची के साथ ऐसा सलूक क्यों? समाज में कुछ ऐसी बुराइयां हैं जिन्हें हम कभी किसी होली में नहीं जला पाएंगे। बुधवार को तड़के बच्ची को अज्ञात लोगों ने एक झोले में भरकर दुर्ग के अमलेश्वर के ग्रीनअर्थ सिटी के पास अमलेश्वरडीह रोड किनारे झाड़ियों में फेंक दिया था। बच्ची दो दिन की है।
ये बने देवदूत
कॉलोनी के एमएम जैन मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। वे झाड़ियों के पास से गुजरे तो हल्की आवाज उन्हें सुनाई दी। इससे उनका ध्यान झाड़ियों में पड़े झोले में गया। आवाज के साथ झोले में हलचल भी हो रही थी। उन्होंने पास जाकर देखा, तो झोले में नवजात बच्ची थी। इसकी सूचना उन्होंने मॉर्निंग वॉक पर निकले दूसरे साथियों विकास पंसारे, नारायण शर्मा को दी। इसके बाद सभी ने डॉयल 112 में कॉल करके एंबुलेंस बुलाई। बच्ची को आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची स्वस्थ है और उसे एनआईसीयू में रखा गया है।
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पुलिस कर रही तलाश
बच्ची को फेंकने के मामले में अमलेश्वर थाने में मामला दर्ज किया गया है। टीआई ममता शर्मा ने बताया कि घटनास्थल सूनसान जगह है। आसपास कोई अस्पताल भी नहीं है। मामले के हर पहलुओं पर जांच की जा रही है। बच्चा फेंकने वाले की तलाश की जा रही है।
यह भी था खतरा
नवजात को थैले में रखकर फेंका गया था। शुक्र है कि उधर से आवारा श्वान नहीं गुजरे, अन्यथा बड़ी घटना हो सकती थी। नवजात के चेहरे को कपड़े से ढंकने के बाद भी उसकी आवाज झोले से बाहर आ रही थी और हाथ-पैर भी चल रहे थे। इससे कोई भी आवारा श्वान मासूम पर हमला कर सकता था।
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