Classical Music: समय के साथ-साथ गाने के बोल और सुर भी बदल गए हैं। अब पहले जैसी बात नहीं रही। यूथ को अब रैप, हिप-हॉप, डबल मीनिंग सॉन्ग की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। इसका एक वजह ये भी हो सकता है क्योंकि म्यूजिक इंडस्ट्री में क्लासिकल सॉन्ग बहुत कम बन रहे हैं। बहुत कम कलाकार हैं जिन्होंने अब भी पुराने पद्धति को अपनाएं रखा है। आनल वसावडा उन्हीं लोगों में से एक हैं।
पारंपरिक लोक संगीत की मशाल वाहक कौन?
अपनी मधुर आवाज और बहुमुखी प्रतिभा से आनल श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। गुजराती लोक संगीत में गहरी जड़ें रखने वाली आनल, पारंपरिक धुनों को आधुनिकता के साथ जोड़कर एक नया आयाम देती हैं। गरबा, भजन और लोक गीतों से लेकर आधुनिक प्रस्तुतियों तक, उनकी गायकी में भारतीय ग्रामीण संस्कृति की आत्मा बसती है। ऐसे में वह पारंपरिक लोक संगीत की मशाल वाहक हैं।

वह लोक संगीत को केवल एक कला नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति को संजोने का जरिया मानती हैं। उनके प्रसिद्ध लता शो, जिसमें वे सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए लोक धुनों के साथ क्लासिकल मेलोडी प्रस्तुत करती हैं, इस बात का प्रमाण है कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखना चाहती हैं।
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हर साल नवरात्रि के मौके पर गरबा
इसके अलावा, हर साल नवरात्रि के मौके पर उनके गरबा गीतों की प्रस्तुति लोक संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। वे चाहती हैं कि पारंपरिक लोक कलाएं वैश्विक मंच पर पुनः अपनी पहचान बनाएं। उनका कहना है कि संगीत मेरी आत्मा में बसता है। यही बात उनके जुनून और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आने वाले समय में आनल अपने नए प्रोजेक्ट्स के जरिए लोक संगीत को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने की तैयारी में हैं। उनका अब तक का सफर काफी शानदार रहा।
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