मछली पालन‌ 1 कट्ठे जमीन में भी संभव:9 क्विंटल तक हो सकता है उत्पादन, कृषि वैज्ञानिक ने कहा- AI तकनीक का सहारा लिया जाता है

मछली पालन‌ 1 कट्ठे जमीन में भी संभव:9 क्विंटल तक हो सकता है उत्पादन, कृषि वैज्ञानिक ने कहा- AI तकनीक का सहारा लिया जाता है

आपके पास जमीन कम है, लेकिन आप मछली का उत्पादन करना चाहते हैं तो आपके लिए स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम से मछली का उत्पादन लाभदायक साबित होगा। यहां महज एक कट्ठा जमीन में 9 क्विंटल तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे अच्छी आय की जा सकती है। कम लागत में ज्यादा उत्पादन डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के वैज्ञानिक डॉ. शिवेंद्र कुमार बताते हैं कि इस विधि से सेंसर बेस तरीके से मछली का उत्पादन कम जमीन में किया जा सकता है। इस विधि से मछली का उत्पादन करने से बार-बार पानी बदलने की समस्या का भी समाधान हो जाता है सेंसर सिस्टम के जरिए पानी को रिफाइन किया जाता है जिसे पानी में शुद्धता बनी रहती है। वैज्ञानिक ने कहा कि यह मछली पालन के लिए एक उन्नत और टिकाऊ तरीका है। इसमें मशीन लर्निंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, और रोबोटिक्स का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से मछली पालन की लागत कम आती है और मछली का उत्पादन ज़्यादा होता है। स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम के फायदे मछली पालन की लागत कम आती है। मछली का उत्पादन ज़्यादा होता है। मछली के लिए स्वस्थ वातावरण बना रहता है। पानी की गुणवत्ता और चारे की मात्रा का पता चलता है। असामान्य स्थिति में, यूज़र को तुरंत सूचना मिलती है।‌ मछली पालन की प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम होता है। स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम में इस्तेमाल होने वाली तकनीकें-: मशीन लर्निंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, सेंसर, एक्ट्यूएटर, माइक्रोकंट्रोलर, माइक्रोप्रोसेसर आदि शामिल हैं।‌ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय विद्यालय में किए गए एक शोध के बाद यह बात सामने आई है कि एक कट्ठा जमीन में तिलापिया मछली का उत्पादन करीब 9 क्विंटल तक होता है, जिससे किसानों को अच्छी आय होगी। आपके पास जमीन कम है, लेकिन आप मछली का उत्पादन करना चाहते हैं तो आपके लिए स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम से मछली का उत्पादन लाभदायक साबित होगा। यहां महज एक कट्ठा जमीन में 9 क्विंटल तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे अच्छी आय की जा सकती है। कम लागत में ज्यादा उत्पादन डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के वैज्ञानिक डॉ. शिवेंद्र कुमार बताते हैं कि इस विधि से सेंसर बेस तरीके से मछली का उत्पादन कम जमीन में किया जा सकता है। इस विधि से मछली का उत्पादन करने से बार-बार पानी बदलने की समस्या का भी समाधान हो जाता है सेंसर सिस्टम के जरिए पानी को रिफाइन किया जाता है जिसे पानी में शुद्धता बनी रहती है। वैज्ञानिक ने कहा कि यह मछली पालन के लिए एक उन्नत और टिकाऊ तरीका है। इसमें मशीन लर्निंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, और रोबोटिक्स का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से मछली पालन की लागत कम आती है और मछली का उत्पादन ज़्यादा होता है। स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम के फायदे मछली पालन की लागत कम आती है। मछली का उत्पादन ज़्यादा होता है। मछली के लिए स्वस्थ वातावरण बना रहता है। पानी की गुणवत्ता और चारे की मात्रा का पता चलता है। असामान्य स्थिति में, यूज़र को तुरंत सूचना मिलती है।‌ मछली पालन की प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम होता है। स्मार्ट एक्वाकल्चर सिस्टम में इस्तेमाल होने वाली तकनीकें-: मशीन लर्निंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, सेंसर, एक्ट्यूएटर, माइक्रोकंट्रोलर, माइक्रोप्रोसेसर आदि शामिल हैं।‌ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय विद्यालय में किए गए एक शोध के बाद यह बात सामने आई है कि एक कट्ठा जमीन में तिलापिया मछली का उत्पादन करीब 9 क्विंटल तक होता है, जिससे किसानों को अच्छी आय होगी।  

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