बाजार नियामक संस्थान सेबी ने जेनसोल प्रमोटर्स को लेकर बड़ा फैसला किया है। सेबी ने फंड की हेराफेरी और गवर्नेंस संबंधित मुद्दों को लेकर जेनसोल इंजीनियरिंग के दो प्रमोटरों के खिलाफ एक्शन लिया है। सेबी ने दोनों को अगले आदेश तक बाजार से प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके अलावा, दोनों प्रमोटरों को जेनसोल में निदेशक या किसी भी प्रमुख प्रबंधकीय पद पर काम करने से रोक दिया गया है। नियामक ने कंपनी को हाल ही में घोषित स्टॉक विभाजन को निलंबित करने का भी आदेश दिया है। सेबी ने यह भी कहा है कि जेनसोल और उससे जुड़ी पार्टियों के खातों की जांच के लिए एक फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया जाएगा।
सेबी ने यह आदेश कंपनी और उसके प्रमोटरों की जांच के बाद दिया है। जून 2024 में शेयर मूल्य में हेराफेरी और जेनसोल से फंड डायवर्जन के बारे में नियामक को शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू की गई थी। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया द्वारा जारी 29 पेज के अंतरिम आदेश में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया जांच से पता चला है कि “कंपनी के प्रमोटर निदेशकों द्वारा धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से कंपनी के फंड का दुरुपयोग और डायवर्जन किया गया है…जो डायवर्ट किए गए फंड के प्रत्यक्ष लाभार्थी भी हैं”। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी ने “अपने ऋणदाताओं द्वारा कथित रूप से जारी किए गए जाली आचरण पत्र प्रस्तुत करके” सेबी, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, ऋणदाताओं और निवेशकों को गुमराह करने का प्रयास किया था।
यह अंतरिम आदेश है और मामले की विस्तृत जांच चल रही है। सेबी की जांच में पता चला है कि अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी ने ब्लूस्मार्ट ब्रांड के तहत राइड-हेलिंग व्यवसाय के लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए ऋण के माध्यम से जुटाए गए धन का कुछ हिस्सा दिल्ली में एक आलीशान फ्लैट खरीदने में इस्तेमाल किया था। प्रमोटरों ने संबंधित पक्षों को भी धन मुहैया कराया था और उसका इस्तेमाल असंबंधित खर्चों के लिए किया था।
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