बक्सर में धूमधाम से मनाया होलिका दहन:फाग गायन और आग के गोले से रात भर चला जश्न, आज मनाई जाएगी होली

बक्सर में धूमधाम से मनाया होलिका दहन:फाग गायन और आग के गोले से रात भर चला जश्न, आज मनाई जाएगी होली

बक्सर में गुरुवार की रात होलिका दहन के अवसर पर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। लोगों ने होलिका स्थल पर विधि-विधान से पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की। रात को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया। ग्रामीणों ने जलती होलिका की पांच बार परिक्रमा की। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। होलिका दहन की तैयारी गुरुवार सुबह से शुरू हो गई थी। सड़क किनारे के रेंड के पौधों को काटकर उनमें सरसों या पुआल का डंठल बांधा गया। इन्हें पूर्वजों द्वारा निर्धारित स्थान पर इकट्ठा किया गया। बक्सर की परंपरा के अनुसार, घर के हर पुरुष सदस्य एक डंठल लेकर पहुंचते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन के समय महिलाएं नहीं दिखतीं, जबकि शहर में महिला-पुरुष दोनों मौजूद थे। पूरी रात मंत्रोच्चार के साथ फाग गायन की परंपरा निभाई गई। कई स्थानों पर युवाओं ने विशेष आग के गोले तैयार किए। होलिका दहन के बाद इन गोलों को पतले तार में बांधकर सड़कों पर घुमाया गया। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता त्योहार बक्सर में होलिका दहन को ‘संवत जलाना’ भी कहा जाता है। प्रसिद्ध लेखक निलय उपाध्याय के अनुसार, लोग इसे बोलचाल में ‘सम्मत जलाना’ कहते हैं, लेकिन शुद्ध रूप में यह ‘संवत जलाना’ है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस दिन पुराने संवत को जलाकर नए साल में प्रवेश किया जाता है। होलिका दहन आधी रात को होने के बाद रंगो का पर्व होली बक्सर जिले में 15 मार्च को मनाया जा रहा है। पंडित संतोष चतुर्वेदी ने कहा कि पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है।इस कारण होली 15को मनायी जायेगी।इसी दिन उदयाकाल में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा भी है। इस कारण यह त्योहार मनाया जाता है।इसी दिन होलिका के भस्म को भी ग्रहण किया जायेगा। बक्सर में गुरुवार की रात होलिका दहन के अवसर पर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। लोगों ने होलिका स्थल पर विधि-विधान से पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की। रात को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया। ग्रामीणों ने जलती होलिका की पांच बार परिक्रमा की। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। होलिका दहन की तैयारी गुरुवार सुबह से शुरू हो गई थी। सड़क किनारे के रेंड के पौधों को काटकर उनमें सरसों या पुआल का डंठल बांधा गया। इन्हें पूर्वजों द्वारा निर्धारित स्थान पर इकट्ठा किया गया। बक्सर की परंपरा के अनुसार, घर के हर पुरुष सदस्य एक डंठल लेकर पहुंचते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होलिका दहन के समय महिलाएं नहीं दिखतीं, जबकि शहर में महिला-पुरुष दोनों मौजूद थे। पूरी रात मंत्रोच्चार के साथ फाग गायन की परंपरा निभाई गई। कई स्थानों पर युवाओं ने विशेष आग के गोले तैयार किए। होलिका दहन के बाद इन गोलों को पतले तार में बांधकर सड़कों पर घुमाया गया। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता त्योहार बक्सर में होलिका दहन को ‘संवत जलाना’ भी कहा जाता है। प्रसिद्ध लेखक निलय उपाध्याय के अनुसार, लोग इसे बोलचाल में ‘सम्मत जलाना’ कहते हैं, लेकिन शुद्ध रूप में यह ‘संवत जलाना’ है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस दिन पुराने संवत को जलाकर नए साल में प्रवेश किया जाता है। होलिका दहन आधी रात को होने के बाद रंगो का पर्व होली बक्सर जिले में 15 मार्च को मनाया जा रहा है। पंडित संतोष चतुर्वेदी ने कहा कि पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है।इस कारण होली 15को मनायी जायेगी।इसी दिन उदयाकाल में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा भी है। इस कारण यह त्योहार मनाया जाता है।इसी दिन होलिका के भस्म को भी ग्रहण किया जायेगा।  

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