विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा को बताया कि कुल 97 भारतीय मछुआरे वर्तमान में श्रीलंका की हिरासत में हैं। कुल 97 में से 83 सज़ा काट रहे हैं, तीन मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं और 11 को हिरासत में लिया गया है। प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत इस मुद्दे पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए श्रीलंका के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहा है। विशेष रूप से, केंद्र दीर्घकालिक तरीके खोजने की कोशिश कर रहा है, जिसमें मछली पकड़ने वाली नावों पर ट्रांसपोंडर लगाना शामिल है ताकि स्थिति बार-बार न आए।
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जयशंकर ने देश के सामने आज जो स्थिति है, उसके मूल में 1974 और 1976 में लिए गए निर्णयों को दोषी ठहराया। मंत्री ने रेखांकित किया कि समस्या 1974 में शुरू हुई थी, जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के परामर्श से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा निर्धारित की थी। उन्होंने उच्च सदन को बताया, अभी स्थिति यह है कि कल तक श्रीलंका की हिरासत में 86 भारतीय मछुआरे थे। आज एक और ट्रॉलर पकड़ा गया है, और इसी तरह 11 और मछुआरे पकड़े गए हैं। कुल मिलाकर, उनमें से 97 हिरासत में हैं। 83 सजा काट रहे हैं, तीन मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं और 11 को आज पकड़ा गया है।
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विदेश मंत्री ने कहा कि जो लोग सजा काट रहे हैं, वे या तो नावों के मालिक हैं या बार-बार अपराध करने वाले हैं, जिससे मामला जटिल हो जाता है और स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमारा प्रयास राजनयिक रूप से लोगों को मुक्त करने का है, मत्स्य विभाग के हमारे सहयोगियों के माध्यम से, ताकि ट्रांसपोंडर्स को फिट किया जा सके, ताकि कोई अनजाने में सीमा पार न हो, और इस बीच हम यह देखने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या हम उन्हें वैकल्पिक समाधान दे सकते हैं ताकि यह स्थिति उत्पन्न न हो।
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