गर्मियों में तपती दोपहरी में पेट्रोल भरवाने से बचें, हो सकता है बड़ा नुकसान, पैसे की भी होगी बचत

गर्मियों में तपती दोपहरी में पेट्रोल भरवाने से बचें, हो सकता है बड़ा नुकसान, पैसे की भी होगी बचत
गर्मियों के मौसम की शुरुआत हो गई है। आम हो या फिर खास, सभी को गर्मियों में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है। इसके साथ ही अगर आप गाड़ी मालिक है तो आपके लिए हम एक बेहतर खबर लेकर आए हैं। दरअसल, हम आपको यह सलाह दे सकते हैं कि गर्मियों के मौसम में दोपहर के वक्त अपनी गाड़ी में तेल ना डालवाएं। हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि दोपहर में ही हमें कहीं निकलना होता है, ऐसे में हम अक्सर पेट्रोल या डीजल डलवा लेते हैं। ऐसे में हमें दो नुकसान होता है। एक तो की तेल कम मिलता है, पैसे भी खराब होते हैं। दूसरी कि गाड़ी पर भी असर पड़ता है। 
 

इसे भी पढ़ें: 663KM की रेंज, 18 मिनट में चार्ज! KIA ने लॉन्च की धांसू इलेक्ट्रिक SUV, जानें क्या है कीमत

दोपहर में तेल डलवाने से क्यों बचें

दरअसल, ज्यादा गर्मी के समय दोपहर में तेल की डेंसिटी बढ़ जाती है। जिसकी वजह से आपको तेल की मात्रा कम मिलती है। ऐसे में जब भी आप दोपहर के वक्त गाड़ी में तेल डलवाने जाते हैं तो आपको तेल कम मिलता है। इसका असर यह होता है कि जहां आपकी गाड़ी को 30 किलोमीटर का माइलेज देना होता है, वहां वह 28 किलोमीटर का ही माइलेज देगी। ऐसे में दोपहर के समय पेट्रोल डलवाना कहीं से भी समझदारी भरा कदम नहीं है। वैसे भी पेट्रोल कंपनियों के मुताबिक 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान की वजह से 2% एनर्जी काम हो जाती है।

गाड़ी को क्या होगा नुकसान

दोपहर में तेल भरवाने से गाड़ी के माइलेज में तो दिक्कत होती ही है। इसके अलावा गाड़ी भी गर्म हो सकती है। साथ ही साथ गाड़ी की टंकी को फूल भी नहीं करा पाते हैं। गाड़ी के अत्यधिक गर्म होने का भी डर रहता है। ऐसे में सुबह शाम ही पेट्रोल भरवाने की कोशिश करें। 

सरकार की गाईडलाईन

यदि आप कभी भी अपनी कार, स्कूटर या मोटरसाइकिल को पूरी तरह से भरने के लिए ईंधन स्टेशन पर गए हैं, तो आपने देखा होगा कि आपका वाहन OEM द्वारा दावा किए गए ईंधन टैंक की क्षमता से अधिक पेट्रोल/डीजल पीता है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 6 मार्च 2023 को जारी एक नए परिपत्र में वाहन मालिकों को ईंधन टैंक को पूरा न भरने की सलाह दी है।
– वॉल्यूम विस्तार के मामले में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक को लीक होने से रोकना, क्योंकि ईंधन पंपों पर भूमिगत टैंकों का तापमान वायुमंडल की तुलना में कम होता है।
– गैसोलीन को वाष्प निर्माण के लिए जगह की आवश्यकता होती है, और यदि यह उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो इंजन का प्रदर्शन बाधित होगा। साथ ही, बिना जले ईंधन के कारण अत्यधिक हाइड्रोकार्बन प्रदूषण होगा।
 

इसे भी पढ़ें: ‘छह माह में पेटूोल वाहनों के बराबर होंगे EV के दाम’, गडकरी ने दी खुशखबरी

– यदि कोई वाहन पूरी क्षमता से भरा हुआ है और ढलान या ढलान वाली सतह पर पार्क किया गया है, तो रिसाव हो सकता है, जो खतरनाक हो सकता है क्योंकि ईंधन एक अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है।
No tags for this post.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *