भारत की इकोनॉमी 2025 में 5.5-6.5% की दर से बढ़ेगी:मूडीज ने 6.6% ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया; अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी का असर

भारत की इकोनॉमी 2025 में 5.5-6.5% की दर से बढ़ेगी:मूडीज ने 6.6% ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया; अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी का असर

कैलेंडर ईयर 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था 5.5%-6.5% के बीच की दर से बढ़ेगी। मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार (16 अप्रैल) को भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया है। इससे पहले फरवरी में मूडीज ने 2025 में ग्रोथ रेट का अनुमान 6.6% रखा था। ट्रम्प की नई टैरिफ पॉलिसी के चलते ये अनुमान घटाया गया है। मूडीज फर्म ने बताया कि हीरे, कपड़े और मेडिकल उपकरणों पर टैरिफ से एक्सपोर्ट घटने का खतरा है। इससे अमेरिका के साथ ट्रेड डेफिसिट बढ़ सकता है। फर्म ने कहा टैरिफ पर 90 दिन की रोक से कुछ राहत मिली सकती है, लेकिन टैरिफ पूरी तरह लागू होने पर निर्यात की मांग घटेगी और बिजनेस कॉन्फिडेंस डाउन होगा। इससे पहले मूडीज की एनालिटिक्स डिवीजन ने भी 2025 में इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 6.4% से घटाकर 6.1% कर दी थी। वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी GDP वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% से ज्यादा की दर से बढ़ेगी। यह मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2024-25 के 6.3% के अनुमान से ज्यादा है। मूडीज रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ज्यादा कैपिटल खर्च करेगी। इसके अलावा टैक्स में कटौती और ब्याज दर में कमी से खपत बढ़ेगी, जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। इस दौरान बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता रहेगी। भारतीय बैंकों का ऑपरेटिंग एनवायरमेंट अगले वित्त वर्ष में फेवरेबल बना रहेगा, लेकिन बीते साल में जरूरी सुधार के बाद उनकी एसेट क्वालिटी में मामूली गिरावट आएगी। तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.2% रही वित्त वर्ष 2024-2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2% रही। एक साल पहले की समान तिमाही (Q3 FY24) में ये 8.4% रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 28 फरवरी को ये डेटा जारी किया। वित्त वर्ष 2024-2025 में इकोनॉमी के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है। इससे पहले जनवरी में जारी किए गए अनुमान में 2024-25 के लिए विकास दर 6.4% आंकी गई थी, जो 4 साल का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ रेट 8.2% थी। बीते 5 साल का GDP का हाल GDP क्या है? इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। दो तरह की होती है GDP GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है। कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP? GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है? GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

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