Jeddah Tower: दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का नाम जो आप अब तक बुर्ज खलीफा बताते हैं, कुछ दिनों में इस नाम की जगह आपको दूसरी इमारत का नाम लेना होगा। ये नाम होगा जेद्दा टावर (Jeddah Tower) का। जी हां, जेद्दा टावर को भविष्य की दुनिया की सबसे ऊंची इमारत कहा जा रहा है। इसकी ऊंचाई बुर्ज खलीफा से भी ज्यादा है, जो करीब 3280 फीट की बताई जा रही है। ये इमारत सऊदी अरब अपने जेद्दा शहर में बना रहा है। इसे पहले किंगडम टावर के नाम से भी जाना जाता था। खास बात ये है कि इस टावर का निर्माण वही आर्किटेक्ट एड्रियन स्मिथ कर रहे हैं जिन्होंने दुबई के बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) को डिजाइन किया था। जेद्दा इकोनॉमिक कंपनी ही इस टावर का निर्माण कर रही है।
बुर्ज खलीफा से कितना अलग है Jeddah Tower?
अरब न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 828 मीटर है। इसमें कुल 163 मंजिलें हैं। वहीं जेद्दा टावर की ऊंचाई 1000 मीटर से ज्यादा है। इसमें कुल 167 से भी ज्यादा फ्लोर बताए जा रहे हैं। इस टावर को सऊदी बिनलादिन ग्रुप कंपनी बना रही है। इस इमारत की लागत कुल 20 बिलियन डॉलर बताई जा रही है।
क्या है इस इमारत की खासियत?
1- जेद्दा टावर को हवा के दबाव और उच्च ऊंचाई पर पैदा होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए त्रिकोणीय आकार में डिज़ाइन किया गया है।
2- इसमें बुर्ज खलीफा से भी ज्यादा उन्नत और तेज लिफ्ट सिस्टम का इस्तेेमाल किया जा रहा है। जैसे बुर्ज खलीफा की लिफ्ट एक मिनट में ही पहली से 124वीं मंजिल पर पहुंचा देती है, जो दुनिया की सबसे तेज लिफ्ट में गिनी जाती है। ऐसे में जेद्दा टावर की लिफ्ट को और ज्यादा तेज बनाया जा रहा है।
3- इस इमारत में इस्तेमाल होने वाला कांच ऊर्जा-कुशल होगा वहीं इसमें स्मार्ट बिल्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
4- इस टावर में लगभग 660 मीटर की ऊंचाई पर एक विशाल ऑब्जर्वेशन डेक होगा, जो दुनिया का सबसे ऊंचा ऑब्जर्वेशन डेक बन जाएगा। टावर में होटल, अपार्टमेंट, ऑफिस स्पेस और शॉपिंग मॉल होंगे।
5- सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि इस टावर की नींव 60 मीटर गहरी बनाई गई है ताकि ये इमारत समुद्री किनारे की मिट्टी पर स्थिर रह सके।
वित्तीय समस्या के चलते निर्माण कार्य हुआ धीमा
रिपोर्ट के मुताबिक इस टावर की एक मंजिल हर चार दिन में बन जाती है। लेकिन इस समय इस टावर का निर्माण थोड़ा धीमे हो गया है। क्योंकि इस टावर को बनाने वाली कंपनी सऊदी बिनलादिन ग्रुप को वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। हालांकि अभी भी इस प्रोजेक्ट के 2030 तक पूरा होने का दावा किया जा रहा है। ये सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ड्रीम प्रोजेक्ट और विजन 2030 का मुख्य प्रोजेक्ट है।
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