श्रीगंगानगर। मानदेय महिला कार्मिकों को सरकारी कार्मिक का दर्जा देने और घटिया पोषाहार चल रही बंदरबांट को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा सहयोगिन, सहायिका साथिन संघ की ओर से कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर एक स्वर में साडा हक ऐत्थे रख का नारा गूंज उठा। इन महिला कार्मिकों ने भगतसिंह चौक के पास स्काउट गाइड कैम्पस में एकत्र होकर वहां से रोष मार्च निकाला। यह रोष मार्च कलक्ट्रेट में प्रदर्शन के रूप में तब्दील हो गया। इन महिलाओं ने अपनी पीड़ा को जाहिर किया। मंगलवार दोपहरी कड़ी धूप में इन महिलाओं ने सड़क जाम कर सभा शुरू कर दी। इस दौरान वक्ताओं का कहना था कि केन्द्र और राज्य सरकार मामूली सा मानदेय दे रही है, इसमें भी दो से तीन माह की देरी हो रही है। जिस कार्य के लिए उनकी नियुक्तियां की गई थी वह तो है ही इसके साथ साथ अन्य विभागों के अफसर आकर काम कराते है। बिना आदेश से ऐसे अफसरों ने कभी शाबाशी नहीं दी। इस प्रदर्शन के दौरान शिष्टमंडल ने एडीएम प्रशासन से वार्ता कर अलग अलग मांग पत्र दिए।
दाह संस्कार और झाडू लगाने का और थोप दो काम
संगठन संस्थापक सीता स्वामी का कहना था कि सरकारी महकमों ने आंगनबाड़ी की महिलाओं को हर काम का बोझ दिया है। उन्हेांने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसे में दाह संस्कार और झाडू लगाने का काम और थोप दो। यह काम भी महिलाएं करके दिखाएगी। जिलाध्यक्ष मंजू स्वामी का कहना था पोषाहार इतना घटिया आ रहा है कि उसे बच्चे भी नहीं खा रहे है। इस पोषाहार की जांच करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करते है। ऊषा वर्मा का कहना था कि आशा सहयोगिन के सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त पांच लाख रुपए की राशि दी जानी चाहिए ताकि बुढापे में यह रकम काम आए।
इन्होंने भी सुनाई अपनी पीड़ा
इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रीतपाल, परमजीत, कांता, कुलविन्द्र, बबीता, नीलम, अलका, ज्योतिकुमारी, पूनम सोनी, आशा सहयोगिनों में चन्द्र मुखी, प्रवेश, नीतू गोयल, संगीता सिंह, सहायिकाओं में द्रोपती, नीतू, सोनकी बाई, साथिनों में बिमला, रेखा, उर्मिला, लीला देवी, हरजीत कौर आदि ने भी आंगनबाड़ीकेन्द्रों पर कामकाज के दौरान आ रही पीडा व्यक्त की। इस दौरान अनूपगढ़, घड़साना, रायसिंहनगर, करणपुर, सूरतगढ़, सादुलशहर, पदमपुर, केसरीसिंहपुर के अलावा बॉर्डर एरिया के ग्रामीण क्षेत्र से भी काफी संख्या में महिलाएं पहुंची।
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