मातृभाषा, माता-पिता का करें सम्मान, दादा-दादी साथ बिताएं समय: नायडू

मातृभाषा, माता-पिता का करें सम्मान, दादा-दादी साथ बिताएं समय: नायडू

पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू ने कहा कि युवाओं को माता-पिता, मातृभाषा, मातृभूमि (वतन), देश और गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। हर भाषा सीखनी चाहिए, लेकिन मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए। मातृभाषा हृदय से निकलती है, इसलिए परिजनों, पड़ोसी और मित्रों से हमेशा मातृभाषा में ही बात करें।

वे शुक्रवार को गुजरात यूनिवर्सिटी (जीयू) के 73वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सेलफोन (मोबाइल फोन) हमारे लिए हेलफोन ना बन जाए, इसका ख्याल रखना होगा। आज लोग सेलफोन पर ही बिजी रहते हैं। बच्चों तक को सेलफोन दे देते हैं। बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए। जरूरत है कि बच्चे सूर्योदय के साथ उठें, स्त तक अपना काम खत्म कर कुछ समय दादा-दादी और माता-पिता के साथ बिताएं। उनसे उन्हें काफी ज्ञान और अनुभव का निचोड़ मिलेगा, जो जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

गुजरात की भूमि को विशिष्ठ भूमि बताते हुए नायडू ने कहा कि इस धरती पर ज्ञान, समझदारी और सहकारिता की धारा बहती है। यही इस राज्य को समग्र भारत में अग्रसर भी रखती है। नायडू ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि उन पर हिंदी थोपी जा रही है, जबकि ऐसा नहीं है। हिंदी तो देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि आज एआई और रोबोटिक्स हकीकत बन गए हैं। ऐसे में, हमारे वेद-पुराणों में जो विज्ञान था, वह दुनिया के समक्ष उजागर करने का समय है। समरोह में जीयू की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य दिया। कुलसचिव डॉ.पी.एम.पटेल सहित जीयू के अधिकारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

विद्यार्थियों को दिया चार सी का मंत्र

नायडू ने कहा कि जीवन में करेक्टर, कैलिबर, कैपेसिटी और कॉन्टेक्ट यह चार चीजें काफी महत्वपूर्ण हैं। यह व्यक्ति व देश को समृद्ध, विकसित करने के लिए अहम हैं। हालांकि कुछ राजनेताओं ने अपने फायदे के लिए इसे कास्ट, कम्युनिटी, कैश और क्रिमिनालिटी में बदल दिया है।

राष्ट्र-समाज के प्रति जिम्मेदारी-जीवन का आधार: राज्यपाल

समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि संस्कार, जीवनशैली, संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, राष्ट्र और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी-जीवन का आधार है। डिग्री पाने वाले युवाओं से कहा कि आप जीवन में डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर कुछ भी बनें परंतु हमेशा मानव जरूर बने रहना।

46 हजार को डिग्री, 148 को 260 को पदक

जीयू के 73वें दीक्षांत समारोह में विभिन्न विद्याशाखाओं के 46,131 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। इसमें आर्ट्स के 9775, साइंस के 5089, इंजीनियरिंग के 03, लॉ के 2728, मेडिकल के 1282, कॉमर्स के 23,927, डेंटल के 60, एजूकेशन के 3266 और फार्मेसी का 01 विद्यार्थी शामिल है। 148 विद्यार्थियों को 260 पदक प्रदान किए गए।

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