Special device for neurosurgery: भारत लगातार अपनी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। अब पटना के डॉक्टरों ने एक ऐसी कमाल की डिवाइस तैयार करने की बात कही है जिसका उपयोग न्यूरो सर्जरी के जोखिम को कम करने में मददगार होगा। अब हमें अमेरिका या किसाी दूसरे डिवाइस पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसको लेकिर भारत सरकार ने पेटेंट में दे दिया है। 20 साल के लिए मिला यह पेटेंट पहली बार पटना एम्स को किसी डिवाइस को लेकर दिया गया है। इस डिवाइस (Special device for neurosurgery) का उपयोग स्पाइन, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन में चोट की सर्जरी के लिए किया जा सकेगा।
स्पाइन, और ब्रेन में ट्यूमर की सर्जरी बेहतर: डॉ. विकास चंद्र झा
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इस खास डिवाइस को एम्स के न्यूरो सर्जरी (Special device for neurosurgery) विभाग के हेड डॉ. विकास चंद्र झा और स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ. संगम झा द्वारा विकसित किया है। डॉ. विकास चंद्र झा ने डिवाइस को लेकर बताया कि स्पाइन, ब्रेन और ब्रेन में ट्यूमर की सर्जरी इस डिवाइस से बेहतर तरीके से हो पायेगी।
अमेरिकन डिवाइस से एडवांस : Special device for neurosurgery
डॉक्टर विकास चंद्र झा ने कहा कि अमेरिका में न्यूरो (Special device for neurosurgery) और स्पाइन सर्जरी में पेटेंट डिवाइस का इस्तेमाल पहले किया गया है। उन्होंने बताया कि यह मशीन सिर्फ एक दिशा में नसों की पहचान कर सकती थी और इस डिवाइस को नसों में बार-बार डाला जाता था, जिससे ऑपरेशन किए जाने वाले हिस्से की पहचान हो सके। इसके इस्मेमाल में जोखिम ज्यादा होता है। आईसीएमआर को इसे एक डिवाइस के रूप में डिजाइन करेगा। आईसीएमआर द्वारा इसे एक मशीन के रूप में तैयार किया जाएगा।
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देश के अलग-अलग हिस्से से मंगाए उपकरण
न्यूरो सर्जरी करते समय अमेरिकन डिवाइस (Special device for neurosurgery) से हमेशा समस्या का सामना करना पड़ता था। ऐसे में इस समस्या का हल निकालने के लिए डॉ. विकास चंद्र झा ने निश्चय किया और इसके इसे बनाने के लिए उन्होंने कई जरूरी उपकरणों को देश के अलग-अलग हिस्से से मंगाया। पटना एम्स के दो बड़े डॉक्टर द्वारा इसे तैयार करने में करीब दो साल का समय लगा। उन्होंने बताया कि 5 लाख की सामग्री में इसे तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि इसे यदि विदेश से मंगाया जाता तो 14-15 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता था।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
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