अब बख्शे नहीं जाएंगे अपराधी, एक्शन मोड में बिहार पुलिस:टॉप-10 अपराधियों को सबसे पहले टारगेट करेगी पुलिस, पिछले 3 महीनों में 4 बार मुठभेड़

अब बख्शे नहीं जाएंगे अपराधी, एक्शन मोड में बिहार पुलिस:टॉप-10 अपराधियों को सबसे पहले टारगेट करेगी पुलिस, पिछले 3 महीनों में 4 बार मुठभेड़

बिहार में अब अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं बची है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कड़े निर्देश के बाद पुलिस पूरी तरह एक्शन मोड में आ चुकी है। बीते कुछ महीनों में राज्यभर में अपराधियों के खिलाफ बड़े अभियान चलाए गए हैं। कई कुख्यात अपराधियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है, जबकि दर्जनों की गिरफ्तारी हुई है। जनवरी में एसटीएफ ने 50-50 हजार के इनामी दो अपराधियों को ढेर किया, जबकि आठ नक्सलियों को भी हिरासत में लिया गया। अब तक कुल 227 अपराधी पकड़े जा चुके हैं, जिनमें 29 इनामी बदमाश शामिल हैं। तीन महीने में चार मुठभेड़, अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई पिछले तीन महीनों में पटना सहित कई जिलों में पुलिस और अपराधियों के बीच चार मुठभेड़ हुईं, जिससे न केवल अपराधियों की धरपकड़ तेज हुई, बल्कि उनके नेटवर्क भी ध्वस्त किए गए। अररिया, मुंगेर, गया और भोजपुर जैसे जिलों में पुलिस ने लगातार कार्रवाई की है। अपराधियों की मौजूदगी की सूचना मिलते ही उन्हें घेरकर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ), स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) और जिला पुलिस के संयुक्त अभियान ने संगठित अपराध और नक्सलवाद पर शिकंजा कस दिया है। एसटीएफ की विशेष जांच इकाइयों (SIG), चीता बल और अभियान दलों के माध्यम से राज्य में अपराधियों के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है। नक्सली गतिविधियों पर भी नियंत्रण राज्य में नक्सली गतिविधियां अब खड़गपुर और छक्कबरबंधा के सीमित इलाकों तक सिमट गई हैं। पुलिस का लक्ष्य है कि अगले तीन महीनों में इन क्षेत्रों को भी उग्रवाद मुक्त कर दिया जाए। इसके लिए झारखंड की सीमा से सटे इलाकों में समन्वित अभियान तेज किया गया है। एसटीएफ ने 15 विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) तैयार किए हैं, जिनके जरिए संगठित अपराधियों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। माफिया नेटवर्क, फिरौती गिरोह, हथियार तस्करी और आर्थिक अपराधों से जुड़े कई अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस द्वारा तैयार किया गया डिजिटल अपराध डाटाबेस इन अभियानों में बेहद कारगर साबित हो रहा है। टॉप-10 अपराधियों की गिनती शुरू पुलिस नियमित रूप से टॉप-10 और टॉप-20 अपराधियों की सूची अपडेट कर रही है। जेल में रहकर या राज्य के बाहर से अपराध करने वाले अपराधियों की भी कड़ी निगरानी की जा रही है। साथ ही, उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार अवैध हथियारों की तस्करी और गोलियों की खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाने के लिए नई नीति लागू करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में सुशासन की राह में अब किसी भी तरह की रुकावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डिजिटल निगरानी से बढ़ी पुलिस की ताकत एसटीएफ और जिला सूचना इकाइयों के बीच समन्वय को मजबूत किया गया है। तकनीकी सेल के माध्यम से अपराधियों की डिजिटल निगरानी की जा रही है। डेटा एनालिटिक्स और रियल-टाइम इंटेलिजेंस की मदद से अपराधियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। बिहार पुलिस की यह रणनीति सिर्फ तात्कालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक प्रभाव डालने वाली है। सरकार का लक्ष्य राज्य को उग्रवाद, संगठित अपराध और भयमुक्त बनाना है। जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाना और अपराधियों को स्पष्ट संदेश देना ही सरकार की प्राथमिकता है। बिहार में कानून का राज लौट रहा है और अपराधियों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। बिहार में अब अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं बची है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कड़े निर्देश के बाद पुलिस पूरी तरह एक्शन मोड में आ चुकी है। बीते कुछ महीनों में राज्यभर में अपराधियों के खिलाफ बड़े अभियान चलाए गए हैं। कई कुख्यात अपराधियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है, जबकि दर्जनों की गिरफ्तारी हुई है। जनवरी में एसटीएफ ने 50-50 हजार के इनामी दो अपराधियों को ढेर किया, जबकि आठ नक्सलियों को भी हिरासत में लिया गया। अब तक कुल 227 अपराधी पकड़े जा चुके हैं, जिनमें 29 इनामी बदमाश शामिल हैं। तीन महीने में चार मुठभेड़, अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई पिछले तीन महीनों में पटना सहित कई जिलों में पुलिस और अपराधियों के बीच चार मुठभेड़ हुईं, जिससे न केवल अपराधियों की धरपकड़ तेज हुई, बल्कि उनके नेटवर्क भी ध्वस्त किए गए। अररिया, मुंगेर, गया और भोजपुर जैसे जिलों में पुलिस ने लगातार कार्रवाई की है। अपराधियों की मौजूदगी की सूचना मिलते ही उन्हें घेरकर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ), स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) और जिला पुलिस के संयुक्त अभियान ने संगठित अपराध और नक्सलवाद पर शिकंजा कस दिया है। एसटीएफ की विशेष जांच इकाइयों (SIG), चीता बल और अभियान दलों के माध्यम से राज्य में अपराधियों के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है। नक्सली गतिविधियों पर भी नियंत्रण राज्य में नक्सली गतिविधियां अब खड़गपुर और छक्कबरबंधा के सीमित इलाकों तक सिमट गई हैं। पुलिस का लक्ष्य है कि अगले तीन महीनों में इन क्षेत्रों को भी उग्रवाद मुक्त कर दिया जाए। इसके लिए झारखंड की सीमा से सटे इलाकों में समन्वित अभियान तेज किया गया है। एसटीएफ ने 15 विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) तैयार किए हैं, जिनके जरिए संगठित अपराधियों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। माफिया नेटवर्क, फिरौती गिरोह, हथियार तस्करी और आर्थिक अपराधों से जुड़े कई अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस द्वारा तैयार किया गया डिजिटल अपराध डाटाबेस इन अभियानों में बेहद कारगर साबित हो रहा है। टॉप-10 अपराधियों की गिनती शुरू पुलिस नियमित रूप से टॉप-10 और टॉप-20 अपराधियों की सूची अपडेट कर रही है। जेल में रहकर या राज्य के बाहर से अपराध करने वाले अपराधियों की भी कड़ी निगरानी की जा रही है। साथ ही, उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार अवैध हथियारों की तस्करी और गोलियों की खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाने के लिए नई नीति लागू करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में सुशासन की राह में अब किसी भी तरह की रुकावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डिजिटल निगरानी से बढ़ी पुलिस की ताकत एसटीएफ और जिला सूचना इकाइयों के बीच समन्वय को मजबूत किया गया है। तकनीकी सेल के माध्यम से अपराधियों की डिजिटल निगरानी की जा रही है। डेटा एनालिटिक्स और रियल-टाइम इंटेलिजेंस की मदद से अपराधियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। बिहार पुलिस की यह रणनीति सिर्फ तात्कालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक प्रभाव डालने वाली है। सरकार का लक्ष्य राज्य को उग्रवाद, संगठित अपराध और भयमुक्त बनाना है। जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाना और अपराधियों को स्पष्ट संदेश देना ही सरकार की प्राथमिकता है। बिहार में कानून का राज लौट रहा है और अपराधियों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।  

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