Obesity and BMI : अब बदल गए हैं मोटापे के पैरामीटर्स, जानिए आप मोटे है या नहीं

Obesity and BMI :  अब बदल गए हैं मोटापे के पैरामीटर्स, जानिए आप मोटे है या नहीं

Obesity health risks : लंबे समय से, मोटापे का निर्धारण बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के आधार पर किया जाता रहा है। BMI की गणना वजन (किलोग्राम) को ऊंचाई (मीटर) के वर्ग से विभाजित करके की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, 30 या उससे अधिक BMI वाले व्यक्तियों को मोटापा और 25 से 29.9 के बीच BMI वाले व्यक्तियों को अधिक वजन (ओवरवेट) की श्रेणी में रखा जाता है।

हालांकि, BMI की आलोचना इसलिए की जाती है क्योंकि यह केवल वजन और ऊंचाई को ध्यान में रखता है, लेकिन यह यह नहीं बताता कि शरीर में वसा (फैट) कितनी और कहां जमा हो रही है। कई बार, एथलीट्स और मसल मास वाले लोग BMI के अनुसार मोटापे (Obesity and BMI) अब बदल गए हैं मोटापे के पैरामीटर्स, जानिए आप मोटे है या नहीं) की श्रेणी में आ सकते हैं, जबकि उनकी असल में शरीर में अधिक चर्बी नहीं होती। वहीं, कुछ लोग जिनका BMI सामान्य होता है, उनके शरीर में अनावश्यक चर्बी अधिक हो सकती है।

नई परिभाषा: मोटापा सिर्फ BMI से नहीं, शरीर की चर्बी से तय होगा

हाल ही में, द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में 58 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक समिति ने मोटापे की एक नई परिभाषा प्रस्तावित की है। इस नई परिभाषा के अनुसार:

BMI सिर्फ शुरुआती जांच का साधन होगा

मोटापे (Obesity and BMI) का निर्धारण अब केवल BMI से नहीं किया जाएगा, बल्कि कमर की माप, कमर-हिप अनुपात (Waist-to-Hip Ratio) और शरीर की चर्बी की वास्तविक मात्रा को देखा जाएगा।

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मोटापे के दो नए वर्ग:

Obesity and BMI
Obesity and BMI : अब बदल गए हैं मोटापे के पैरामीटर्स, जानिए आप मोटे है या नहीं

क्लिनिकल मोटापा: जब मोटापा व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगे, जैसे कि हृदय रोग (Cardiovascular) , मधुमेह, जोड़ों का दर्द आदि। ऐसे लोगों को चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होगी।

प्रि-क्लिनिकल मोटापा: जिन लोगों का वजन अधिक है, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। इनके लिए मुख्य रूप से जीवनशैली में बदलाव और सावधानी बरतने की सलाह दी जाएगी।

नए दृष्टिकोण के फायदे और चुनौतियां

इस नई परिभाषा का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोग BMI के आधार पर गलत धारणाएँ नहीं बनाएंगे। इससे मोटापे को एक गंभीर बीमारी की तरह देखा जाएगा और इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।

हालांकि, कुछ चिकित्सकों को “प्रि-क्लिनिकल मोटापा” की श्रेणी पर आपत्ति हो सकती है क्योंकि वे मानते हैं कि किसी बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही उसका उपचार करना बेहतर होता है। इसके अलावा, अगर बीमा कंपनियां इस नई परिभाषा को अपनाती हैं, तो संभव है कि वे मोटापा-नियंत्रण उपचारों के लिए पहले से अधिक जटिल शर्तें लगा दें।

लोगों को अपने डॉक्टर से क्या पूछना चाहिए?

अगर आप अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, तो डॉक्टर से केवल BMI के बजाय शरीर में चर्बी की वास्तविक स्थिति की जांच करने का अनुरोध करें। कमर की माप एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि पेट के आसपास जमा चर्बी मधुमेह और हृदय रोग का बड़ा कारण बन सकती है।

BMI एक सरल लेकिन सीमित पैमाना है। मोटापे की नई परिभाषा इसे एक व्यापक दृष्टिकोण से देखने की सलाह देती है, जिससे लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से समझ और नियंत्रित कर सकते हैं। यदि यह बदलाव व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो यह मोटापे से जुड़े उपचार और इसके प्रति धारणा को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

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अस्वीकरण: यह सामग्री और इसमें दी गई सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी योग्य चिकित्सकीय सलाह का स्थान नहीं लेती। हमेशा अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श करें। patrika.com इस जानकारी के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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