दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी ओला इलेक्ट्रिक की समस्याएं खत्म नहीं हो रही है। ओला के खिलाफ जांच चल रही है क्योंकि 10 हजार लोगों ने कंपनी के खिलाफ शिकायत की है। ओला के खिलाफ सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी जांच कर रही है। अथॉरिटी ने ओला को तीसरा नोटिस भेजा है। अब जांच के लिए जरुरी सवाल जवाब मांगे गए है।
सीसीपीए के नोटिस से राहत मिलने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में ओला की अपील को खारिज कर दिया है। वहीं स्टॉक एक्सचेंज को भेजी जानकारी में ओला इलेक्ट्रिक ने लिखा कि सीसीपीए ने तीसरा नोटिस भेजा है। इनके अनुसार सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने 10 दिसंबर को ओला इलेक्ट्रित मोबिलिटी लिमिटेड को दोबारा नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है।
ओला को अक्टूबर में भी अथॉरिटी की ओर से नोटिस जारी किया गया था। इसमें सीसीपीए की तरफ से कंज्यूमर राइट उल्लंघन और सेवा में कमी की शिकायत के बाद जांच की शुरुआत की गई थी। सीसीपीए के नोटिस से राहत दिलाने की मांग पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की है। नोटिस खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सीसीपीए का ये नोटिस जिम्मेदार अधिकारी को दिया जा रहा है।
ओला इलेक्ट्रिक को इन नोटिस का जवाब देना जरुरी है। ओला इलेक्ट्रिक से जुड़े इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आर देवदास का कहना है कि जांच अधिकारी का ये अधिकार है कि वो जरुरी दस्तावेज और रिकॉर्ड की मांग करें। ओला का कहना है कि नोटिस जारी करने वाले अफसर के पास इसका अधिकार नहीं है। इसके लिए कम से कम डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर होना चाहिए।
सीसीपीए को मिला कानून का उल्लंघन
सीसीपीए ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ जांच में सामने आया है कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन से संबंधित कानूनों का उल्लंघन किया गया है। ओला पर आरोप हैं कि विज्ञापनों और सेवाओं में कमी की गई है, जो जांच में सही पाए गए है। इन आरोपों को लेकर ही सीसीपीए जांच कर रहा है।
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