पटना जिले के 517 बच्चों का एडमिशन आरटीई के तहत कुछ निजी स्कूलों के द्वारा नहीं ली जा रही है। इन बच्चों के माता-पिता का कहना है कि दाखिले के नाम पर इन्हे दौड़ाया जा रहा है। 1139 बच्चों का चयन किया गया था जिनमें से 622 बच्चों का एडमिशन अलग-अलग अलॉट किए गए स्कूलों में हो पाया है, लेकिन अब भी 517 बच्चों का एडमिशन अलॉट किये गये स्कूलों में नहीं लिया जा रहा है। कुछ अभिभावक लगातार स्कूल और जिला शिक्षा कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। पटना सदर के रहने वाले चंदन कुमार का कहना है कि अपने बच्चे निर्भय कुमार का आरटीई के तहत लिस्ट में नाम आने के बाद भी स्कूल उनके बच्चे का नामांकन नहीं ले रहा है। वहीं धर्मेंद्र कुमार की भी दो बेटियों का आरटीई के तहत लिस्ट में नाम आने के बाद भी निजी स्कूल नामांकन नहीं ले रहे हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि चयनित बच्चों का एडमिशन अलॉट किए गए स्कूल प्रबंधकों को लेना होगा। अगर कोई स्कूल नामांकन लेने में आनाकानी करता है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। आरटीई की राशि की जांच के लिए 51 टीमें गठितः डीईओ संजय कुमार ने बताया कि जिले के 215 निजी स्कूलों द्वारा आरटीई की राशि का ब्योरा दिया गया है। इसकी जांच के लिये 51 टीमें गठित की गई हैं। टीम द्वारा जांच के बाद रिपोर्ट विभाग को सौंपी जाएगी। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने बताया कि सत्र 2019-20 से सत्र 2023-24 में आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की आरटीई की राशि का भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बच्चों का एडमिशन लेने की छूट स्कूल को सौंप दी जाए तो हर स्कूल 10-10 बच्चों को आरटीई के तहत एडमिशन ले लेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में नामांकन के लिए फर्स्ट रेंडमाइजेशन से चयनित बच्चों के अभिभावकों को निजी स्कूलों में एडमिशन कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। दरअसल आरटीई के तहत एडमिशन के लिए पोर्टल में सेलेक्ट किए गए कई निजी स्कूल वैसे भी हैं जो माइनॉरिटी की श्रेणी में आते हैं उसे भी सेलेक्ट कर लिया गया। जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार आरटीई के तहत एडमिशन के लिए एक बच्चे को रेंडमाइजेशन की प्रक्रिया के अनुसार तीन से चार स्कूलों का ऑप्शन दिया गया है। लेकिन अभिभावक फर्स्ट च्वाइस को छोड़ दूसरे या तीसरे ऑप्शन वाले स्कूल में एडमिशन कराना चाह रहे हैं, उन्हें परेशानी हो रही है। इसके अलावा कई अभिभावक ऐसे भी हैं जो फर्स्ट ऑप्शन वाले स्कूल में भी एडमिशन के लिए जा रहे हैं तो उन्हें स्कूल प्रबंधक की ओर से अहमियत नहीं दी जा रही है। आरटीई के तहत नामांकन तिथि 17 मार्च तक बढ़ी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत होने वाले नामांकन की तिथि 17 मार्च तक बढ़ा दी गयी है। इस योजना के तहत निजी स्कूलों के 25 प्रतिशत सीटों पर अलाभकारी और कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लिया जाता है। जिला शिक्षा कार्यालय ने कहा है कि पहले नामांकन की अंतिम तिथि 8 मार्च तक थी, जिसे बढ़ाकर 17 मार्च तक कर दिया गया है। सेंकेंड रेंडेमाइजेशन के जरिये नामांकन से वंचित रह गये बच्चों को स्कूल आवंटित किया जाएगा। पटना जिले के 517 बच्चों का एडमिशन आरटीई के तहत कुछ निजी स्कूलों के द्वारा नहीं ली जा रही है। इन बच्चों के माता-पिता का कहना है कि दाखिले के नाम पर इन्हे दौड़ाया जा रहा है। 1139 बच्चों का चयन किया गया था जिनमें से 622 बच्चों का एडमिशन अलग-अलग अलॉट किए गए स्कूलों में हो पाया है, लेकिन अब भी 517 बच्चों का एडमिशन अलॉट किये गये स्कूलों में नहीं लिया जा रहा है। कुछ अभिभावक लगातार स्कूल और जिला शिक्षा कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। पटना सदर के रहने वाले चंदन कुमार का कहना है कि अपने बच्चे निर्भय कुमार का आरटीई के तहत लिस्ट में नाम आने के बाद भी स्कूल उनके बच्चे का नामांकन नहीं ले रहा है। वहीं धर्मेंद्र कुमार की भी दो बेटियों का आरटीई के तहत लिस्ट में नाम आने के बाद भी निजी स्कूल नामांकन नहीं ले रहे हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि चयनित बच्चों का एडमिशन अलॉट किए गए स्कूल प्रबंधकों को लेना होगा। अगर कोई स्कूल नामांकन लेने में आनाकानी करता है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। आरटीई की राशि की जांच के लिए 51 टीमें गठितः डीईओ संजय कुमार ने बताया कि जिले के 215 निजी स्कूलों द्वारा आरटीई की राशि का ब्योरा दिया गया है। इसकी जांच के लिये 51 टीमें गठित की गई हैं। टीम द्वारा जांच के बाद रिपोर्ट विभाग को सौंपी जाएगी। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने बताया कि सत्र 2019-20 से सत्र 2023-24 में आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की आरटीई की राशि का भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बच्चों का एडमिशन लेने की छूट स्कूल को सौंप दी जाए तो हर स्कूल 10-10 बच्चों को आरटीई के तहत एडमिशन ले लेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में नामांकन के लिए फर्स्ट रेंडमाइजेशन से चयनित बच्चों के अभिभावकों को निजी स्कूलों में एडमिशन कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। दरअसल आरटीई के तहत एडमिशन के लिए पोर्टल में सेलेक्ट किए गए कई निजी स्कूल वैसे भी हैं जो माइनॉरिटी की श्रेणी में आते हैं उसे भी सेलेक्ट कर लिया गया। जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार आरटीई के तहत एडमिशन के लिए एक बच्चे को रेंडमाइजेशन की प्रक्रिया के अनुसार तीन से चार स्कूलों का ऑप्शन दिया गया है। लेकिन अभिभावक फर्स्ट च्वाइस को छोड़ दूसरे या तीसरे ऑप्शन वाले स्कूल में एडमिशन कराना चाह रहे हैं, उन्हें परेशानी हो रही है। इसके अलावा कई अभिभावक ऐसे भी हैं जो फर्स्ट ऑप्शन वाले स्कूल में भी एडमिशन के लिए जा रहे हैं तो उन्हें स्कूल प्रबंधक की ओर से अहमियत नहीं दी जा रही है। आरटीई के तहत नामांकन तिथि 17 मार्च तक बढ़ी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत होने वाले नामांकन की तिथि 17 मार्च तक बढ़ा दी गयी है। इस योजना के तहत निजी स्कूलों के 25 प्रतिशत सीटों पर अलाभकारी और कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लिया जाता है। जिला शिक्षा कार्यालय ने कहा है कि पहले नामांकन की अंतिम तिथि 8 मार्च तक थी, जिसे बढ़ाकर 17 मार्च तक कर दिया गया है। सेंकेंड रेंडेमाइजेशन के जरिये नामांकन से वंचित रह गये बच्चों को स्कूल आवंटित किया जाएगा।
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