Rule Changes: 1 अप्रैल से आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर, बदलेंगे ये 6 बड़े नियम

Rule Changes: 1 अप्रैल से आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर, बदलेंगे ये 6 बड़े नियम

Rule Changes from 1 April: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट (Budget) पेश किया था। इस दौरान उन्होंने मध्यम वर्ग को आयकर में बड़ी छूट देने के साथ-साथ कई नियमों में बदलाव की घोषणा की थी। अब ये नए नियम वित्त वर्ष (Financial Year) की शुरुआत, यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू होने जा रहे हैं। इन बदलावों में टैक्स कटौती (TDS) और स्रोत पर टैक्स संग्रह (TCS) से संबंधित नए प्रावधान भी शामिल हैं। आइए, हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।

सीनियर सिटीजन और मकान मालिकों को राहत

वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS कटौती की सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दिया गया है, जिससे वे अधिक ब्याज पर कर छूट का फायदा उठा सकेंगे। मकान मालिकों को भी राहत देते हुए, किराये की आय पर TDS कटौती की सीमा को ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख प्रति वित्तीय वर्ष कर दिया गया है।

विदेशी ट्रांजैक्शन पर TCS सीमा में बढ़ोतरी

विदेश में पैसे भेजने (Liberalized Remittance Scheme – LRS) पर TCS कटौती की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है। इससे विदेश में पढ़ाई, यात्रा और निवेश करने वाले लोगों को राहत मिलेगी।

एजुकेशन लोन पर TCS हटाया गया

अगर किसी विशिष्ट वित्तीय संस्थान से शिक्षा ऋण लिया जाता है, तो अब उस पर TCS नहीं लिया जाएगा। पहले ₹7 लाख से अधिक के ऋण पर 0.5% और शिक्षा से संबंधित लेनदेन पर 5% TCS लागू होता था, जिसे अब पूरी तरह हटा दिया गया है।

डिविडेंड और म्यूचुअल फंड पर TDS सीमा बढ़ी

डिविडेंड आय पर TDS की सीमा को ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 प्रति वित्तीय वर्ष कर दिया गया है। म्यूचुअल फंड यूनिट्स से होने वाली आय पर भी TDS की सीमा ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है। इसके अलावा, इनाम के रूप में मिलने वाली राशि पर अब ₹10,000 तक TDS नहीं लिया जाएगा।

लपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव संभव

तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को LPG सिलेंडर की कीमतों की समीक्षा करती हैं। 1 अप्रैल को घरेलू और व्यावसायिक गैस सिलेंडरों की कीमतों में परिवर्तन संभव है।

ATF और CNG-PNG के दामों में संशोधन

1 अप्रैल से एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF), CNG और PNG की कीमतों में परिवर्तन संभव है। तेल कंपनियां प्रत्येक महीने की पहली तारीख को इनके नए मूल्य निर्धारित करती हैं, जिसका प्रभाव परिवहन और घरेलू बजट पर पड़ सकता है।

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