अमेरिका से डिपोर्ट 104 भारतीय 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचे थे। इन्हें अमेरिकी मिलिट्री के C-17 प्लेन से भेजा गया था। बाद में इन लोगों को उनके राज्यों में भेज दिया गया। अब हरियाणा के युवकों को डंकी रूट से अमेरिका भेजने वाले एजेंटों पर पुलिस का एक्शन शुरू हो गया है। पुलिस ने करनाल के आकाश और सुमित की शिकायत पर 3 एजेंटों के खिलाफ FIR दर्ज की। आकाश और सुमित अमेरिका से डिपोर्ट हुए 33 लोगों में शामिल हैं। पुलिस को जांच में पता चला कि इन 33 लोगों से एजेंटों ने करीब 15 करोड़ रुपए ठगे। लोगों को अमेरिका में जॉब तक का झांसा दिया गया था। हालांकि, सभी लोग मैक्सिको बॉर्डर से दीवार पार कर अमेरिका पहुंचते ही अरेस्ट हो गए। पंजाब के दिलेर सिंह ने एजेंट सतनाम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। ये मामला अमृतसर जिले के राजासांसी थाने में दर्ज किया गया है। इन लोगों ने अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत पहुंचने तक की मुश्किलें भास्कर से शेयर कीं। पढ़िए ऐसे 5 लोगों की कहानी… कहानी-1 जिस कैंप में हमें रखा गया था, वहां बेहद खराब स्थिति है। खाने के लिए केवल उतना ही दिया जाता है, जिससे जिंदा रहा जा सके। ठंड में केवल एक कपड़े में रहना पड़ा। पूछताछ के बाद मेरे हाथ-पैरों में बेड़ियां डालकर डिपोर्ट कर दिया गया। मुजफ्फरनगर के देवेंद्र सिंह अपनी कहानी बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि मैं 29 नवंबर, 2024 को भारत से थाईलैंड गया। फिर वियतनाम और चीन होते हुए अल सल्वाडोर पहुंचा। वहां से मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री की। इस सफर में मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। माफिया ने हमें अपने घरों में रखा। वे लोग धीरे-धीरे पैसे मांगते रहे। माफिया ने 40 लाख रुपए की फिरौती लेकर मुझे छोड़ा। ये रुपए मेरे घर वालों ने हरियाणा के करनाल में बैठे एजेंट को भेजे। यहां से रुपए माफिया तक पहुंचाए गए। देवेंद्र कहते हैं कि मेरा सपना अमेरिका में नौकरी कर ट्रक चलाने का था, अब कभी वहां वापस नहीं जाना चाहता। पहले अमेरिका में लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें वहां से भगाया जा रहा है। यह सब अवैध तरीके से ही होता है, क्योंकि कानूनी तरीके से वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। कहानी-2 भास्कर की टीम मुजफ्फरपुर के रसूलपुर जाटान गांव में रक्षित बालियान (20) के घर पहुंची। उनके पिता सुधीर बालियान से हुई। वह आर्मी से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी हैं। उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। सिर्फ इतना बताया- मेरा बेटा अक्टूबर, 2024 में टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका गया था। आज सुबह 4 बजे घर लौटा। रक्षित 12वीं पास है। हमारे परिवार के पास खेती की जमीन है। हम लोग खेती भी करते हैं। इतना कहने के बाद वे रोने लगे। कहते हैं कि मेरे बेटे ने बहुत तकलीफ झेली है। मुझमें अब कुछ बोलने की हिम्मत नहीं है। कहानी-3 पीलीभीत जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर भास्कर की टीम बंजरिया गांव पहुंची, तो वहां चहल-पहल कम थी। गांव के रास्ते में कुछ लोग मिले, लेकिन उन्होंने गुरप्रीत के बारे में बात करने से साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि आप गुरप्रीत के परिवारवालों से बात करें, तो बेहतर होगा। हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमें गुरप्रीत के घर तक पहुंचा दिया। इशारे से उनका घर बताकर वे चले गए। वहां हमारी मुलाकात गुरप्रीत की मां जसविंदर कौर से हुई। जसविंदर ने बताया- गुरप्रीत सितंबर, 2022 में पहले इंग्लैंड गया था। यहां से उसने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की। डेढ़ महीने पहले मेरे बेटे ने अमेरिका पहुंचने की सूचना दी थी। इसके बाद उससे संपर्क टूट गया था। गुरप्रीत मेरे तीन बेटों में सबसे छोटा है। वह परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेश गया था। मेरा बड़ा बेटा गुरदेव सिंह उर्फ गुरजीत भारतीय सेना में है। मां ने बताया- स्थानीय एजेंट की मदद से 20-25 लाख रुपए खर्च कर गुरप्रीत को लंदन भेजा था। वहां वह फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा था। वहां उसे काम में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद एक एजेंट ने बेटे को अमेरिका में बेहतर अवसर का लालच देकर मोटी रकम वसूली। फिर अवैध तरीके से अमेरिका भेज दिया। 13 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर कंट्रोल ने सीमा पार करते हुए गुरप्रीत को पकड़ लिया। गुरप्रीत के इंडिया में लैंड होने के बाद दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की। फिर पीलीभीत पुलिस गुरप्रीत सिंह को दिल्ली से लेकर आई। यहां ढाई घंटे से ज्यादा पूछताछ के बाद 6 फरवरी की शाम को उनके पिता गुरमीत को सौंप दिया। गुरप्रीत सिंह ने बताया- 22 दिन तक अमेरिका में डिटेंशन कैंप में रखने के बाद मुझे डिपोर्ट किया गया। अमेरिकी सैनिकों का हरियाणा के लोगों को छोड़कर अन्य के प्रति व्यवहार ठीक था। हरियाणा के लोगों की बोली को लेकर सैनिक उनको असभ्य बता रहे थे। हम लोगों के हाथों और पैरों में हथकड़ी इस वजह से लगाई कि सैनिकों की संख्या कम थी। उन्हें लगा कि पकड़े गए लोग कहीं उन पर हमला न कर दें। कहानी-4 करनाल के सुमित ने बताया कि बेरोजगारी के चलते मैंने अमेरिका जाने का फैसला किया था। गांव के विक्रम सिंह ने प्रदीप राणा नामक व्यक्ति से मिलवाया, जिसने अमेरिका भेजने के बदले 40 लाख रुपए मांगे। सुमित ने बताया कि 8 लाख रुपए नकद दिए और अपनी 1.5 एकड़ जमीन का बयाना एजेंट के नाम कर दिया। एजेंट ने उसे गैरकानूनी तरीके से अमेरिका भेजा। 25 जनवरी को जब मैं मैक्सिको से अमेरिका में दाखिल हुआ तो बॉर्डर पर अमेरिकी आर्मी ने पकड़ लिया और हिरासत में डाल दिया। अब सुमित ने असंध थाने में विक्रम और प्रदीप के खिलाफ केस दर्ज कराया है। पुलिस ने धारा 316(2), 318(4) और इमिग्रेशन एक्ट 24 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कहानी-5 गुजरात के वडोदरा की एक युवती ने नाम न बताने की शर्त पर दिव्य भास्कर को बताया कि आंखों में आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों का कोई अंत नहीं था। इटली पहुंचने तक तो सबकुछ ठीक था। यहां से मुझे मैक्सिकन सीमा तक जाना था। मैं किसी तरह वहां पहुंचने में कामयाब रही, लेकिन स्थानीय माफिया ने मुझे पकड़ लिया। उन्होंने मुझ पर बंदूक तान दी, लेकिन मुंबई में किसी एजेंट से बात कराने पर उन्होंने मुझे छोड़ दिया। यहां से मैं दिन-रात चलता रही, जब तक कि मैं अमेरिकी की बॉर्डर तक नहीं पहुंच गई, लेकिन सिक्योरिटी ने पकड़ लिया। मेरे हाथों में हथकड़ियां और खून से लथपथ पैरों में कैदियों की तरह बेड़ियां थीं। मुझे अभी भी नहीं पता कि वे मुझे कहां ले गए, लेकिन वे मुझे जहां ले गए थे, वास्तव में वह डरावनी दुनिया थी। मैंने नरक के बारे में सुना था, लेकिन मैंने इसे अमेरिका में देखा और अनुभव किया। कई दिनों तक दिन-रात चलने के बाद मेरे हाथ-पैर सूज गए थे। कई जगह गहरे जख्म हो गए थे। डिटेंशन सेंटर में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सोने के कमरे थे। मेरे साथ मेहसाणा, पंजाब और हरियाणा की ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं भी थीं। कमरे की चारदीवारी और अंधेरा ही हमारी दुनिया थी। पेट भरने के लिए नॉनवेज के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैं शाकाहारी थी। काफी मिन्नतों के बाद मुझे कई-कई घंटों में फल का टुकड़ाभर खाने को मिलता था। पुरुषों के लिए तो यह स्थिति और भी बदतर थी। उन्हें दिन-रात प्रताड़ित किया जाता था। कड़ाके की ठंड में वे रात के दो बजे जबर्दस्ती ठंडे पानी से उन्हें नहलाते थे। इतना ही नहीं, टॉर्चर करने के लिए AC का टेंपरेचर भी कम कर देते थे। हम लोगों में से किसी को पता नही था कि हम कहां थे। बस 15 दिनों तक हर रोज यातनाएं सहते हुए पल-पल मरते रहे। आखिरकार हम वापस अपने देश आ गए। लोगों ने जैसा बताया, भास्कर आर्टिस्ट संदीप पाल ने उसे स्केच के जरिए दिखाया है… ——————————————————————- अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. 1. भारतीयों के हाथ-पैर चेन से बांधकर प्लेन में चढ़ाया, VIDEO:वॉशरूम में निगरानी, खाने के लिए भी हाथ नहीं खोले; 40 घंटे इसी हाल में रहे अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने अपने X हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती हैं। पूरी खबर पढ़ें… 2. भास्कर एक्सक्लूसिव-अमेरिका जाने के डंकी रूट के VIDEO:कीचड़ से सने पैर, बारिश के बीच टेंट; डिपोर्ट किए हरियाणा के युवक ने बनाए थे वीडियो में दिख रहा है कि डंकी रूट से जा रहे लोग पनामा के जंगलों में कीचड़ से गुजर रहे हैं। उनके बूट कीचड़ से सने हैं। भयावह जंगल में वह टेंट लगाकर रह रहे हैं। बारिश में पॉलिथीन से शरीर और सामान ढंक रहे हैं। रास्ते में जंगलों में जहां नाले वगैरह का पानी मिला, वहीं नहा रहे हैं। ग्रुप में कई छोटे बच्चे और लड़कियां भी नजर आती हैं। पूरी खबर पढ़ें… 3. अमेरिका से 104 भारतीय डिपोर्ट:इनमें गुजरात-हरियाणा के 33-33 लोग, पंजाब के 30; US समेत 20 देशों में कभी नहीं जा सकेंगे अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर बुधवार को दोपहर करीब 1 बजे 104 अवैध प्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर के गुरु रविदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा। इसमें 11 क्रू मेंबर और 45 अमेरिकी अधिकारी भी साथ आए। प्लेन में पंजाब के 30, हरियाणा-गुजरात के 33-33 लोग शामिल थे। पूरी खबर पढ़ें…
No tags for this post.