राज परिवार के परिजन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा:वारिस का मसला कोर्ट में, फिर सरकार ने कैसे तय किया कि वारिस नहीं है

राज परिवार के परिजन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा:वारिस का मसला कोर्ट में, फिर सरकार ने कैसे तय किया कि वारिस नहीं है

बिहार सरकार, बेतिया राज की संपत्ति की मालिक बन गई। तर्क दिया कि इस राज परिवार का वारिस नहीं है। राज परिवार के परिजनों ने इसे सरकार का झूठ, तानाशाही, बेईमानी, सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन और पटना हाईकोर्ट की अवमानना कहा। आशुतोष सिन्हा बोले-’जब राज परिवार के वारिस का मसला पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग है, तो सरकार ने अपने से कैसे तय कर लिया कि कोई वारिस नहीं है, और खुद संपत्ति की मालिक बन गई?’उनकी आपत्ति पर राज्यपाल ने विधि विभाग को नियम के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है। आशुतोष पटना हाईकोर्ट को बताने जा रहे कि सरकार ने कैसे उसकी अवमानना की; कैसे मनमर्जी से बेतिया राज की संपत्ति को अपनी संपत्ति बना ली। वे बिहार सरकार के मालिकाना हक वाले कानून के खिलाफ भी मुकदमा करने जा रहे। बहुत सोच-समझ कर कानून बना, संपत्ति की सुरक्षा के लिए यह जरूरी था : जायसवाल बेतिया राज की संपत्ति को अपना बनाने के लिए सरकार ने विधानमंडल से विधेयक पारित कराया। गजट नोटिफिकेशन हुआ। मालिक बनने के बाद सरकार, संपत्तियों की जानकारी जुटा रही, आकलन करा रही, इसे सहेज रही। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.दिलीप जायसवाल ने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहते इस विधेयक को पेश किया था। कहा-बेतिया राज की संपत्ति के प्रभावी संरक्षण व प्रबंधन के लिए सरकार ने इस पर मालिकाना हक कायम किया। यह संपत्तियों को चोरी और बर्बादी से बचाने के लिए जरूरी था। रही बात इस विरोध या मुकदमेबाजी की, तो सरकार देखेगी। कुल 15358 एकड़ जमीन बेतिया राज की कुल 15,358.60 एकड़ जमीन है। बिहार में 15,215.33 और यूपी में 143.26 एकड़। 1939 में महारानी जानकी कुंअर के आभूषण व अन्य सामान इंपीरियल बैंक के पटना व इलाहाबाद शाखा में रखे गए थे। इंपीरियल बैंक अब स्टेट बैंक है। महारानी के भतीजे हैं आशुतोष सिद्ध नारायण सिंह के एक पुत्र (बिंदेश्वरी शरण सिंह) और एक पुत्री (जानकी कुंअर) हुईं। जानकी कुंअर की शादी बेतिया के महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह से हुई। बिंदेश्वरी शरण के पुत्र जगदंबिका शरण महारानी के भतीजा हैं। आशुतोष सिन्हा, जगदंबिका शरण के पुत्र हैं। 31 साल से पेंडिंग है मामला बेतिया राज के वारिस का मामला 1994 से हाईकोर्ट में पेंडिंग है। उत्तराधिकारियों ने 1994 में पहली अपील 557 और 1995 में क्रॉस अपील 208 दायर की। सरकार ने भी 1994 में पहली अपील 696 और क्रॉस अपील 697 दायर की। इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। कहते हैं कानून के जानकार कानूनी लड़ाई, कोर्ट ही निर्णय करेगा
बिहार सरकार का मालिकाना हक वाले कानून को अस्तित्व में रहने तक बेतिया राज की संपत्ति पर दावा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून को अवैध ठहराने पर ही पहले की स्थिति बहाल होगी।
– कृष्णा प्रसाद सिंह, वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण का कानून बनाया। सो, अब यह कानूनी लड़ाई का मोर्चा है। इस कानून के बारे में अदालती फैसले पर ही सबकुछ निर्भर करेगा।
– डी. के. सिन्हा, वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट बिहार सरकार, बेतिया राज की संपत्ति की मालिक बन गई। तर्क दिया कि इस राज परिवार का वारिस नहीं है। राज परिवार के परिजनों ने इसे सरकार का झूठ, तानाशाही, बेईमानी, सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन और पटना हाईकोर्ट की अवमानना कहा। आशुतोष सिन्हा बोले-’जब राज परिवार के वारिस का मसला पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग है, तो सरकार ने अपने से कैसे तय कर लिया कि कोई वारिस नहीं है, और खुद संपत्ति की मालिक बन गई?’उनकी आपत्ति पर राज्यपाल ने विधि विभाग को नियम के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है। आशुतोष पटना हाईकोर्ट को बताने जा रहे कि सरकार ने कैसे उसकी अवमानना की; कैसे मनमर्जी से बेतिया राज की संपत्ति को अपनी संपत्ति बना ली। वे बिहार सरकार के मालिकाना हक वाले कानून के खिलाफ भी मुकदमा करने जा रहे। बहुत सोच-समझ कर कानून बना, संपत्ति की सुरक्षा के लिए यह जरूरी था : जायसवाल बेतिया राज की संपत्ति को अपना बनाने के लिए सरकार ने विधानमंडल से विधेयक पारित कराया। गजट नोटिफिकेशन हुआ। मालिक बनने के बाद सरकार, संपत्तियों की जानकारी जुटा रही, आकलन करा रही, इसे सहेज रही। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.दिलीप जायसवाल ने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहते इस विधेयक को पेश किया था। कहा-बेतिया राज की संपत्ति के प्रभावी संरक्षण व प्रबंधन के लिए सरकार ने इस पर मालिकाना हक कायम किया। यह संपत्तियों को चोरी और बर्बादी से बचाने के लिए जरूरी था। रही बात इस विरोध या मुकदमेबाजी की, तो सरकार देखेगी। कुल 15358 एकड़ जमीन बेतिया राज की कुल 15,358.60 एकड़ जमीन है। बिहार में 15,215.33 और यूपी में 143.26 एकड़। 1939 में महारानी जानकी कुंअर के आभूषण व अन्य सामान इंपीरियल बैंक के पटना व इलाहाबाद शाखा में रखे गए थे। इंपीरियल बैंक अब स्टेट बैंक है। महारानी के भतीजे हैं आशुतोष सिद्ध नारायण सिंह के एक पुत्र (बिंदेश्वरी शरण सिंह) और एक पुत्री (जानकी कुंअर) हुईं। जानकी कुंअर की शादी बेतिया के महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह से हुई। बिंदेश्वरी शरण के पुत्र जगदंबिका शरण महारानी के भतीजा हैं। आशुतोष सिन्हा, जगदंबिका शरण के पुत्र हैं। 31 साल से पेंडिंग है मामला बेतिया राज के वारिस का मामला 1994 से हाईकोर्ट में पेंडिंग है। उत्तराधिकारियों ने 1994 में पहली अपील 557 और 1995 में क्रॉस अपील 208 दायर की। सरकार ने भी 1994 में पहली अपील 696 और क्रॉस अपील 697 दायर की। इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। कहते हैं कानून के जानकार कानूनी लड़ाई, कोर्ट ही निर्णय करेगा
बिहार सरकार का मालिकाना हक वाले कानून को अस्तित्व में रहने तक बेतिया राज की संपत्ति पर दावा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून को अवैध ठहराने पर ही पहले की स्थिति बहाल होगी।
– कृष्णा प्रसाद सिंह, वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण का कानून बनाया। सो, अब यह कानूनी लड़ाई का मोर्चा है। इस कानून के बारे में अदालती फैसले पर ही सबकुछ निर्भर करेगा।
– डी. के. सिन्हा, वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट  

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