रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को कुछ दिन बाद 3 साल पूरे हो जाएंगे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर कब्ज़ा करने के इरादे से 24 फरवरी, 2022 को अपनी सेना को यूक्रेन को घेरते हुए उस पर हमला करने का आदेश दिया था और तभी से यह युद्ध जारी है। इस युद्ध की वजह से अब तक यूक्रेन में बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इतना ही नहीं, यूक्रेन के कई शहरों में भारी तबाही मच चुकी है और बड़ी संख्या में लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा। हालांकि पुतिन को अभी तक इरादे में कामयाबी नहीं मिली है, क्योंकि यूक्रेन को लगातार इंटरनेशनल सपोर्ट मिलने की वजह से यूक्रेनी सेना भी डटकर रूसी सेना का सामना कर रही है। इस युद्ध में अब तक यूक्रेन का सबसे बड़ा मददगार अमेरिका (United States Of America) रहा है, लेकिन अब नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने यूक्रेन को देने वाली मदद को बंद कर दिया है। इससे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की (Volodymyr Zelenskyy) की चिंता बढ़ गई है। लेकिन इसी बीच यूके (UK) के पीएम कीर स्टार्मर (Keir Starmer) ने रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए बड़ा ऐलान किया है।
ज़रूरत पड़ने पर भेजी जाएगी सेना
ब्रिटिश पीएम स्टार्मर ने घोषणा की है कि अगर ज़रूरत पड़ती है, तो वह यूके की सेना को रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए भेजने के लिए तैयार हैं। स्टार्मर ने कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी देने में मदद करने में कोई भी मदद यूरोप की सुरक्षा के साथ ही यूके की सुरक्षा के लिए भी ज़रूरी है। ऐसे में ब्रिटिश पीएम का मानना है कि यूक्रेन की मदद के लिए हर संभव कदम ज़रूरी है, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी सेना भेजनी पड़े।
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ज़ेलेन्स्की ने अमेरिकी मदद को बताया ज़रूरी
इसी बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने इस युद्ध में यूक्रेन के लिए अमेरिकी मदद को ज़रूरी बताया है। ज़ेलेन्स्की ने कहा है कि रूस के खिलाफ चल रही इस जंग में अगर यूक्रेन को बने रहना है, तो उन्हें अमेरिका की मदद की ज़रूरत पड़ेगी। दूसरी ओर ट्रंप अब यूक्रेन को किसी तरह की आर्थिक और सैन्य सहायता देने के पक्ष में नहीं हैं, जिससे ज़ेलेन्स्की खुश नहीं हैं। लेकिन एक शर्त पर ट्रंप, यूक्रेन की मदद करना जारी रख सकते हैं। ट्रंप के अनुसार अगर यूक्रेन उन्हें अपने खनिज देता है, तो अमेरिका की तरफ से यूक्रेन की मदद जारी रहेगी। वहीं, ज़ेलेन्स्की नहीं चाहते कि अमेरिका को यूक्रेनी खनिज दिए जाए, क्योंकि उनका मानना है कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यूक्रेनी खनिज मिलने के बाद भी अमेरिका उनकी मदद करेगा।
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