Shiv Sena UBT-MNS Alliance : महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल मची हुई है, दरअसल यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे एक साथ आएंगे। इस पर मनसे के मुंबई इकाई के अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
मनसे के वरिष्ठ नेता संदीप देशपांडे बीते दो दिनों से लगातार इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट भूमिका रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे का हालिया बातचीत केवल चुनावी गठबंधन तक सीमित नहीं है। उनका कहना है कि यह महाराष्ट्र के प्रश्नों और हितों से जुड़ा हुआ है।
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए मनसे के प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने साफ कहा, “ये सिर्फ गठबंधन की बात नहीं है। अभी कोई चुनाव नहीं है, तो गठबंधन का मतलब केवल चुनावी तालमेल क्यों निकाला जा रहा है? अभी बात होनी चाहिए हिंदी की जबरदस्ती पर, परप्रांतीयों की और इस बात पर कि बैंकों में मराठी का इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा।”
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधा है। दरअसल हाल ही में उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी मनसे से गठबंधन की अटकलों पर बात करते हुए कहा था कि मनसे अगर ‘महाराष्ट्रद्रोही’ लोगों से दूरी बनाकर रखनी है तो वह गठबंधन पर विचार कर सकते है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए देशपांडे ने कहा कि जैसे बीजेपी को प्रमाणपत्र नहीं देना चाहिए कि कौन हिंदुत्ववादी है और कौन नहीं। वैसे ही शिवसेना उद्धव गुट को भी यह तय नहीं करना चाहिए कि कौन महाराष्ट्रद्रोही है और कौन नहीं।
उन्होंने याद दिलाया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ 17,000 मामले दर्ज किए गए थे। क्या उद्धव ठाकरे इसे गलती मानते हैं? क्या वह इसके लिए मनसे से माफी मांगेंगे?
देशपांडे ने पार्टी प्रमुख राज ठाकरे की सराहना करते हुए कहा कि यह गठबंधन सिर्फ राजनीति के लिए नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र के भविष्य, मराठी अस्मिता, मराठियों के रोजगार से जुड़ी हुई है। जैसे तमिलनाडु में किसी भी राज्यहित के मुद्दे पर सभी पार्टियां एक साथ आती हैं, वैसे ही महाराष्ट्र में भी एकता होनी चाहिए।
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इस बीच संदीप देशपांडे ने 2017 की घटनाओं का भी ज़िक्र किया जब मनसे और शिवसेना (अविभाजित) के बीच गठबंधन की कोशिशें हुई थीं। उन्होंने बताया कि उस समय मनसे के बड़े नेता बाला नांदगावकर खुद मातोश्री गए थे, लेकिन उद्धव ठाकरे पहली मंजिल से नीचे उतरकर मिलने तक नहीं आए। मैंने पहले ही बताया है कि उस समय हमारे साथ कैसा धोखा हुआ था।
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