नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन:काठमांडू में पुलिस से भिड़े; किंग ज्ञानेंद्र को सत्ता सौंपने की मांग, इन पर 9 हत्याओं का आरोप

नेपाल में राजशाही समर्थकों का हिंसक प्रदर्शन:काठमांडू में पुलिस से भिड़े; किंग ज्ञानेंद्र को सत्ता सौंपने की मांग, इन पर 9 हत्याओं का आरोप

नेपाल में हिंदू राष्ट्र की बहाली को लेकर शुक्रवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के तिनकुने में एक इमारत में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर भी फेंके, जिसके जवाब में सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस घटना में एक युवक के घायल होने की भी खबर है। इस आंदोलन में 40 से ज्यादा नेपाली संगठन शामिल हुए। प्रदर्शनकारी राजा आओ देश बचाओ, भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद और हमें राजशाही वापस चाहिए, जैसे नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों पर एक्शन नहीं लिया गया तो और ज्यादा उग्र विरोध प्रदर्शन होगा। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर लोगों से समर्थन मांगा था। इसके बाद से ही देश में ‘राजा लाओ, देश बचाओ’ आंदोलन को लेकर तैयारियां चल रही थीं। 87 साल के नवराज सुवेदी कर रहे आंदोलन का नेतृत्व आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हुए हैं। इसका मकसद नेपाल में राजशाही को बहाल करना है। दरअसल, नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था। कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी। लेकिन अब नेपाल की जनता देश में फैले भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और बार-बार सत्ता परिवर्तन से परेशान हो गई है। सुवेदी का नाम तब सुर्खियों में आया जब पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने उन्हें इस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए उनका नाम आगे बढ़ाया। हालांकि, उनके इस नेतृत्व को लेकर नेपाल के प्रमुख राजवादी दलों, जैसे राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) और राप्रपा नेपाल, में कुछ असंतोष देखा गया है। नवराज सुबेदी ने कहा, “हम अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रख रहे हैं, लेकिन अगर हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो हमें प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारा मकसद पूरा नहीं हो जाता।” 90 वर्षीय पशुपति विक्रम शाह का कहना है कि उन्होंने राजशाही और प्रजातंत्र दोनों को करीब से देखा है। नेपाल की हालत बेहद खराब हो गई है। सरकार आम लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि लोग राजतंत्र की वापसी की मांग कर रहे हैं। कहा कि राजतंत्र अब पहले जैसा नहीं होगा। राजा संविधान के तहत काम करेंगे। उन्हें विशेष अधिकार दिए जाएंगे, लेकिन पूर्ण अधिकार संविधान में निहित रहेगा। राजशाही की बहाली को मधेसी व पहाड़ी दोनों आए समर्थन में नेपाल राष्ट्रवाद संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर गोयल ने कहा कि राजशाही की बहाली की मांग अब अंतिम चरण में है। 28 मार्च को नेपाल के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन होगा। नेपाल के 40 से अधिक संगठनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन की योजना तैयार कर ली है। खास बात यह है कि मधेसी और पहाड़ी दोनों ही राजशाही के समर्थन में हैं। काठमांडू, नेपालगंज, पोखरा, बिराटनगर, जनकपुर, धनकुटा, बुटवल, पालपा, कपिलवस्तु सहित नेपाल के सभी शहरों में आंदोलन ऐतिहासिक होगा। नारायणहिती पैलेस, जो कभी नेपाल के राजाओं का आधिकारिक निवास था और अब एक संग्रहालय है, फिर से सत्ता संघर्ष का केंद्र बन चुका है। नेपाल राष्ट्रसंघ के केंद्रीय अध्यक्ष जनक लाल साह ने कहा कि 28 मार्च को पूरे देश में जनता का आंदोलन होगा। प्रजातंत्र में नेपाल का शोषण हुआ है। नेपाल राष्ट्रवाद संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर गोयल ने कहा कि यह आर-पार की लड़ाई है। आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। राष्ट्रीय नागरिक संघर्ष समिति के केंद्रीय प्रवक्ता हीरा बहादुर चंद्र ने कहा कि भारत हमारा पड़ोसी देश है। भारत की आजादी में नेपाल ने सहयोग किया था, इसलिए भारत को भी इस मामले में सहयोग करना चाहिए। बीरगंज के साजन श्रीवास्तव कहते है राजतंत्र जरूरी है। देश के युवा, आम नागरिक और छात्र परेशान हैं। उद्योग-धंधे बंद हैं, जिससे बेरोजगारी और अपराध बढ़ रहे हैं।

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