नॉर्मलाइजेशन का विरोध क्‍यों कर रहे BPSC छात्र:NEET, UP RO/ARO एग्जाम्स में भी विरोध हुआ; स्टूडेंट्स का कहना- ये फेयर नहीं

नॉर्मलाइजेशन का विरोध क्‍यों कर रहे BPSC छात्र:NEET, UP RO/ARO एग्जाम्स में भी विरोध हुआ; स्टूडेंट्स का कहना- ये फेयर नहीं

बिहार में स्टूडेंट्स सड़क पर उतरे। दिसंबर-जनवरी के महीने में कभी आधी रात उन पर पानी की बौछार की गई तो कभी दौड़ा-दौड़ाकर उनपर लाठियां बरसाईं गईं। प्रदर्शन के दौरान बिहार बंद का आह्वान किया गया। कैंडिडेट्स ने बिहार के 12 जिलों सासाराम, सुपौल, किशनगंज , मधेपुरा, पटना, सहरसा, पूर्णिया, लखीसराय, औरंगाबाद, भागलपुर, आरा और अररिया में नेशनल और स्टेट हाईवे को जाम किया। समस्तीपुर में ट्रेनें रोकीं गईं थी। बेतिया और बेगुसराय में CM नितीश कुमार का पुतला भी छात्रों ने फूंका। लेकिन आखिर छात्रों की मांग थी क्या…? नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ है प्रदर्शन दरअसल, 13 दिसंबर से बिहार में छात्र नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये वही नॉर्मलाइजेशन है जिसके खिलाफ नवंबर में उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज में स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरे थे। इसके अलावा NEET UG 2024 में भी नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आवाज बुलंद की गई थी। 13 दिसंबर को BPSC ने 70वां CCE एग्‍जाम कराया। 20 सितंबर को इसका नोटीफिकेशन जारी किया गया था और 1964 पदों पर इसके जरिए भर्ती की जानी थी। इसके बाद 5 बार पदों को अपडेट किया गया और 3 बार एग्जाम डेट बढ़ाई गई। पहले एग्जाम 13 और 14 दिसंबर को होना तय किया गया लेकिन नॉर्मलाइजेशन का कैंडिडेट्स ने विरोध किया। इसके बाद एग्जाम एक ही दिन कराने का फैसला हुआ। 13 दिसंबर को जब आखिरकार एग्जाम हुआ तो पटना के बापू सेंटर से गड़बड़ी की बात सामने आई। अभ्यर्थियों ने बापू सेंटर पर जमकर हंगामा किया। क्वेश्चन पेपर देरी से पहुंचने को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे एक अभ्यर्थी को पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने थप्पड़ जड़ दिया जिसके बाद आयोग ने 16 दिसंबर को बापू सेंटर पर आयोजित परीक्षा रद्द कर दी और सिर्फ इस सेंटर के कैंडिडेट्स के री-एग्जाम की बात कही। अब इसे लेकर कैंडिडेट्स को दोबारा नॉर्मलाइजेशन का डर लगा। कैंडिडेट्स फिर सड़क पर उतर आए। उनका कहना था कि अगर कुछ बच्चों का दोबारा एग्जाम लिया जाएगा तो फिर उसमें नॉर्मलाइजेशन का रूल लगाना पड़ेगा। इसी नॉर्मलाइजेशन का छात्र शुरुआत से विरोध करते आ रहे थे। ऐसे में कैंडिडेट्स की मांग है कि री-एग्जाम सभी के लिए हो। आखिर है क्या नॉर्मलाइजेशन कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है। कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है। ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है। कई बार एक शिफ्ट में भी स्टूडेंट्स को क्वेश्चन पेपर का अलग-अलग सेट मिलता है। ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है। इसे ऐसे समझते हैं… किसी एग्जाम में क्वेश्चन पेपर के तीन सेट- A, B, C बांटे गए। इसमें अलग-अलग सेट सॉल्व करने वाले स्टूडेंट्स का एवरेज स्कोर कैलुकलेट किया जाएगा। मान लीजिए सेट A सॉल्व करने वालों कैंडिडेट्स का एवरेज स्कोर 70 मार्क्स है। सेट B वालों का स्कोर 75 मार्क्स है और सेट C सॉल्व करने वालों का एवरेज स्कोर 80 मार्क्स है। ऐसे में सेट C सबसे आसान और सेट A सबसे मुश्किल माना जाएगा। आसान सेट वाले कैंडिडेट्स का नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ मार्क्स गंवाने पड़ेंगे और मुश्किल सेट वालों को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलेंगे। UP में भी नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ सड़क पर उतरे थे छात्र नवंबर 2024 में स्टूडेंट्स UPPSC यानी उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन के खिलाफ धरने पर बैठे थे। स्टूडेंट्स की मांग थी कि PCS और RO/ ARO का एग्जाम एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में कराया जाए। दरअसल, स्टूडेंट्स का कहना था कि अलग-अलग शिफ्टों में एग्जाम होने की वजह से आयोग नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला लगाता है जिसमें धांधली होती है। इसमें धांधली करने वालों को गड़बड़ी करने का मौका मिल जाता है। आयोग ने छात्रों की मांग मान ली थी। NEET में नॉर्मलाइजेशन से रैंक इन्फ्लेशन हुआ जून 2024 में NEET UG के रिजल्ट के बाद छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया। छात्र एग्जाम में गड़बड़ी, पेपर लीक और नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे थे। दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए गए और कई कैंडिडेट्स ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया। स्टूडेंट्स का कहना था कि एग्जाम में नॉर्मलाइजेशन की वजह से रैंक इन्फ्लेशन हुआ है। इसका मतलब ये है कि टॉप रैंक्स पर स्टूडेंट्स की गिनती बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। नॉर्मलाइजेशन की वजह से रैंक 1 पाने वाले 72 स्टूडेंट्स थे। इससे स्टूडेंट्स को काफी नुकसान हुआ। जैसे मान लीजिए किसी टॉप मेडिकल कॉलेज में 40 सीट्स पर एडमिशन होना है लेकिन रैंक 1 पाने वाले 72 स्टूडेंट्स हैं। ऐसे में किन स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलेगा और किनको नहीं ये कैसे तय होगा। इसके अलावा रैंक इन्फ्लेशन की वजह से स्टूडेंट्स को रैंक का नुकसान भी हुआ। मतलब जितने मार्क्स पर पहले 1000 रैंक मिलती इस बार 1, 00, 000 मिली। एजुकेशन की ऐसी ही और खबरे पढ़ें… 1. अब बिना NET के असिस्‍टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे: वाइस चांसलर पद के लिए टीचिंग एक्‍सपीरियंस की जरूरत नहीं; UGC की ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी अब हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूटस में असिस्‍टेंट प्रोफेसर बनने के लिए UGC NET एग्‍जाम क्लियर करने की जरूरत नहीं होगी। पूरी खबर पढ़ें…

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