नई दिल्ली. इंश्योरेंस कराने के बाद यदि बीमा पॉलिसी पसंद नहीं आई तो जल्द ही आप इसे एक साल के अंदर वापस कर सकेंगे और बीमा कंपनी को जमा किया गया प्रीमियम अमाउंट वापस करना होगा। इंश्योरेंस मिस-सेलिंग यानी गलत तरीके अपनाकर बेची गई बीमा पॉलिसी से लोगों को बचाने के लिए सरकार ने निजी बीमा कंपनियों से पॉलिसीधारकों के लिए फ्री-लुक अवधि को एक माह से बढ़ाकर एक साल करने को कहा है। फ्री-लुक वह अवधि होती है जब ग्राहक बीमा पॉलिसी को सरेंडर शुल्क अदा किए बिना निरस्त कर सकता है।मुंबई में सोमवार को पोस्ट-बजट प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने कहा कि यदि इस अवधि के दौरान बीमाधारक पॉलिसी को वापस करता है तो कंपनी को पहला जमा प्रीमियम वापस करना होगा।
सरकारी कंपनियां भी कॉल बैक सुविधा शुरू करें
नागराजू ने कहा, प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को भी पॉलिसियों में ‘वापस लेनेÓ (कॉल बैक) सुविधा लागू करने के लिए कहा गया है। इसके तहत एक बार उत्पाद बिकने पर ग्राहक को ‘कॉल बैकÓ दिया जाता है। इसके तहत ग्राहक उत्पाद से असंतुष्ट होने या अन्य किसी कारण से पॉलिसी वापस करना चाहता है तो कर सकता है। बीमा नियामक इरडा ने पिछले साल फ्री-लुक अवधि को 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन कर दिया था।
बैंक डूबने पर मिल सकेगी 5 लाख से अधिक की रकम
केंद्र सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (डीआइसीजीसी) के तहत मिलने वाले बीमा कवरेज को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर कवरेज बढ़ा दिया जाता है तो बैंक के डूबने पर ग्राहकों को 5 लाख रुपए से ज्यादा की रकम मिल सकेगी। फिलहाल बैंक बंद होने या डूबने पर ग्राहक की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहती है। यह रकम 90 दिन के भीतर ग्राहको देनी होती है।
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